जिन्दगी का बनावटीपन

Best touching feelings


🌠जिन्दगी का बनावटीपन🌠

🌟

🎆🎆"जिन्दगी के कुछ अधकहे जज्बात,
जब भी कुछ कहने के लिए बेताब से हो जाते है।
मेरे कदम यकायक ही बढ जाते है ,कमरे की उस दूधिया रोशनी को बन्द करने के लिए,जो
जिन्दगी के बनावटीपन का प्रतीक है।🎆🎆

🌟

kuch yaade

♦♦इस बनावटीपन से दूर होते ही,
खिड़की से चाँद 🌙🌙 की रोशनी के रुप मे
कुछ अमूल्य सी यादें दस्तक दे जाती है
और मैं ढूंढने लगती हूँ कहीं खुद को।👯👯

🌟

👀 आँखें बन्द होते ही खुद को तलाश लेती है
और इस बन्द कमरे में जहाँ सिर्फ बेगानापन है
उससे कहीं कोसो दूर कुछ मुस्कुराने के पल मिल जाते है।💓💓

🌟

✳✳जिन्दगी कितनी अजीब है,बनावटी चीज़े
हमेशा रोशनी में ठहरती है
और अंधेरो में दिल में दफन अपनों की कुछ
गहरी यादें।
जो दिल के सबसे करीब रहे हो।💑

🌟


🌸🌸रोशनी होते ही रिश्तों का एक संसार नजर आता है।
जो रिश्तों के बनावटीपन का प्रतीक है।
दिल के अजीज रिश्ते तो तन्हाई मे रूलाते है
और अंधेरो में भी जीने की रोशनी बनकर हमारे साथ होते है।🌿🌿

🌟


🏠कमरे की ये दूधिया रोशनी जलते ही
वो बेशकीमती सी यादें कहीं दूर चली जाती है।
🌛🌛वो चाँद वापस चला जाता है खिड़की से
और आँखें खुलते ही फिर से इस बनावटीपन मे
अपना अस्तित्व तलाशने लगती है।
फिर से ढूंढने लगती है इस रिश्तों के संसार में
कोई अपना अजीज सा रिश्ता।💑

🌟


🔶🔶 बनावटीपन के इसी भ्रम में
ये आँखें और जिन्दगी उलझकर रह जाती है।
कुछ समझ नहीं आता कि भ्रम ये दूधिया रोशनी है
या फिर वो चाँद,जो रोशनी जलते ही अपने साथ उन
यादों को समेट कहीं कोसों दूर चला जाता है🔷🔷

🌟


💕 Zla India-आपके दिल की आवाज,जुडे रहिये कहानियों और कविताओं के साथ जिनके नायक होंगे आप ...................कुछ एहसास जो छू ले दिल को 💕


टॉप 10 लव फीलिंग्स

🌟💕टॉप 10 लव फीलिंग्स 💕🌟

🌟Best Love Feelings🌟 

👫


best love feelings

💥बर्फ की वादियों में मैं और तुम- Read More💥 

🎇

💥 वो तुम्हारी और मेरी बातें - Read More💥

🎇

💥वो फीकी सी चाय - Read More💥

🎇

💥कहाँ जाऊं तुमसे दूर - Read More💥

🎇

💥कभी कभी - Read More💥

🎇

💥वो फुरसत के पल - Read More💥 

🎇

💥तुम और मैं - Read More💥

🎇

💥तुम मेरी जिंदगी की आवाज़ हो -Read More💥 

🎇

💥चाँद और तुम - Read More💥

🎇

💥बारिश और तुम - Read More💥

🎇

 

💕💕 Zla India -आपके दिल की आवाज़,कहानियाँ और कविताएँ जिनके नायक होंगे आप.............

कुछ एहसास जो छु ले दिल को...💕💕 

वो फुरसत के पल

🌟 Best Love Feelings 🌟

 💐 वो फुरसत के पल 💐

🔙💗💗💗💗🔜


💑 चलो आज वहीं चलते है,जहाँ
उस पेड की छाँव में मेरी और तुम्हारी
एक दोपहर गुजरी थी।
जहाँ खामोशी से बिन कहे ही मैंने और तुमने
कुछ वादे कर लिए थे 💑
जिन्दगी के कुछ हसीन पल


💓

🌾🌾 देवदार के उस पेड के नीचे मैनें और तुमने
जिन्दगी से कुछ पल चुराये थे।
कितनी शीतल हो गयी थी वो दोपहर,
जब तुमने चुपके से वो 🌂🌂 छाता खोलकर
मुझे धूप से बचाया था।🍁

जैसे मैं रूठी थी तुमसे -Read  More

💓


वो फुरसत के पल,जब जिन्दगी से जीतने की
जिद नही थी।
जब तुम एक गुलाब देकर मेरा जन्मदिन 🎁
मना लिया करते थे।
जब मुझको चीजों से नहीं सिर्फ तुमसे
लगाव था।

💓

🎆🎆देवदार के वो पेड जिन पर कुरेदते हुए तुमने
मस्ती मे यूँ ही मेरा नाम लिख दिया था।
चलो आज फिर से चलते है उन पेड़ों पर
अपना नाम तलाशने।
क्या मौजूद होंगी वहाँ आज भी मेरी और तुम्हारी
कुछ यादें।
जिन्दगी के वो फुरसत के पल जो मैंने और तुमने
कभी साथ बिताये थे💞💞
💕 चलो आज फिर से ढूँढ लेते है खुद को कहीं
जिन्दगी के कुछ बीते सालों में।
चलो आज फिर से चलते है देवदार के पेड़ों की
उस छाँव में।
जहाँ ज्येष्ठ की तपती दोपहरी में तुमने शीतलता
बनकर सुकून दिया था।
जहाँ तुमने और मैंने अचार से वो सूखी रोटियां खायी थी,
जो कि मेरी जिन्दगी का सबसे खूबसूरत लंच था⏫⏫

💓

💥 🎇 जहाँ तुम्हारे हाथों से वो ठंडा पानी पिया था।
जिसको पीने के लिए मैंने घण्टों इंतजार किया था।
जिन्दगी के वो कुछ हसीन पल,जब पहली दफा मैंने
तुम्हें बहुत करीब से जाना था👯👯

💓

💑 चलो आज फिर से फुरसत के वो पल साथ गुजारते है।
चलो आज फिर से देवदार के उन पेड़ों की छाँव मे
चलते  है।💑

💓

💕💕 Zla India -आपके दिल की,जुड़े रहिये कहानियों और कविताओं के साथ,जिनके नायक  होंगे आप .....................................कुछ एहसास जो छू ले दिल को 💕💕


कहाँ जाऊँ तुमसे दूर

🍁 Best heart touching feelings 🍁

💓💓कहाँ जाऊँ तुमसे दूर 💓 💓

♥♥♥♥♥♥

💞💞 मेरी खामोशी कहाँ समझ पायेगा वो,
जो मेरे लफ्जों को ना समझ पाया।💘 💘

"💖💚कभी कभी यूँ ख्याल भी आता है इस दिल में,
कि तुमसे कहीं दूर,जहाँ तुम्हारी कोई याद ना हो
जहाँ तुम्हारा कोई अक्स ना हो।
जहाँ तुम्हारी यादों के आँसू इन आँखों को ना भिगोये।
तुमसे इतनी दूर चली जाऊँ
कि तुम कभी ना तलाश पाओ मुझे।💔💔

तुमसे दूर कहाँ धुंध पाऊँगी

👯👯 पर क्या बता पाओगे मुझे कभी तुम
वो जगह जहाँ तुम ना हो।
जहाँ उगते सूरज की लालिमा में तुम्हारी
उमंगें ना हो।
जहाँ मुझको जो हवा छूकर गुजरे
उसमें तुम्हारा एहसास ना हो।
जहाँ चाँद की चाँदनी मे तुम्हारी शीतलता ना हो।
तुमसे कहीं बहुत दूर......🌙🌙

*♡*कहाँ जाऊँ तुमसे कहीं दूर
इस सारी खुदाई में तो तुम बसे हो♡.♡


💑ना इजाजत है मुझे तुम्हारे साथ रहने की
और ना इजाजत ही तुमसे दूर जाने की।
कभी कभी इस दिल में ये ख्याल भी आता है।
कि मेरी खामोशी तुम्हें समझ आती है
पर क्या कह पाओगे तुम कभी लफ्जों मे.........
कि दूर जाना जरूरी है क्या??💑


💢💢अब चाहत तुम्हें पाने की नहीं थी
बस तुम्हें देखने की थी।
तुम बडे बेअदब हो।
मेरी आँखों से टपकते कुछ आँसू कहते है
कि अब तुम्हें देखने की चाहत को भी मिटाँ दूँ
और तुमसे कहीं दूर चली जाऊँ।💛💜


👫जहाँ फूलों में तुम्हारी खुशबू ना हो।
जहाँ यादों में तुम्हारा नाम ना हो।
जहाँ मेरी जिन्दगी से तुम्हारे सारे रंग मिट जाये
पर क्या बता पाओगे ऐसी जगह
जहाँ तुम ना हो,जहाँ मैं ना हूँ
क्योंकि तुम तो तुम हो ही,मैं भी तो तुम हूँ।
मैं भी तो तुम हूँ।
तुम ना हो तो फिर मैं कहाँ
तुम ना हो तो फिर मैं कहाँ।👫

💔💔तुमसे कहीं दूर,खुद से कहीं दूर
कहाँ जाऊँ तुमसे दूर 💔💔


💕💕Zla India- आपके दिल की आवाज।जुड़े रहिये कहानियों और कविताओं के साथ,जिनके नायक होंगे आप...........................कुछ एहसास जो छू ले दिल को।💕💕



ये उम्मीदों की झूठी दुनिया है

"👸👸मुझको खबर है कि तुम,अब कभी वापस नही आओगे।
फिर भी ये दिल बेवजह तुम्हारी राहे देखता है।💗💗
तुम अब पराये नही हो,और अपने बन जाओगे
ऐसी किस्मत भी कहाँ है?
मेरी आँखों में कुछ नमी है,ये तुम्हें पाने की खुशी है
या खोने का गम।"😩😩
बेवजह की उम्मीदे


💟💟"मैं जानती हूँ कि ये उम्मीदों की झूठी दुनिया है।
तुम अब कभी वापस नहीं आओगे।
फिर भी ये दिल कहता है कि तुम वापस आओगे।
ये झूठी ख्वाहिशें है तुम्हें अपना कहने की।"💔💔




💓💓"लोग कहते है कि सच्चे दिल से दुआएँ की हो,
तो कभी खाली नही जाती।
अब मैं भी देखती हूँ अपनी सच्चाई को दांव पर लगाकर।"💟💟


जैसे मैं रूठी थी तुमसे - Read More 


💐💐"मुझको ये खबर है कि तुम्हारे किसी एक पल
मे भी मेरा जिक्र नहीं होता।
फिर तुम्हारे अपनों में अक्सर खुद को तलाशती हूँ।
ये उम्मीदों की झूठी दुनिया है,
जिसमें कभी खुद को तुम्हारी कह देती हूँ।
जबकि मुझको ये खबर है कि तुम्हें अच्छा नहीं लगता मेरा खुद को तुम्हारा कहना।"💑💑




📒 📒 "पर एक जगह तुम आज भी मेरे हो।
मेरी कलम के अल्फाजो मे,मेरी डायरी के पन्नों में।
तुम्हारी कुछ बेइम्तहाँ सी यादें सिमटी है।
मेरी ख्वाहिशों के पन्नों पर आज भी तुम्हारा नाम लिखा है।"✎✎




😢 😢"मेरी आँखों के आँसू आज भी तुमको याद करके
बिन बुलाये मेहमान की तरह चले आते है।
जबकि मुझको ये खबर है कि तुम्हारी यादों मे
मेरा कोई अक्स नहीं है।
फिर भी उम्मीदों की ये एक झूठी दुनिया है
कि तुम वापस आओगे।"💑




⛅⛅"मेरी शामो-शहर की दुआओं मे तुम्हारा नाम होता है।
मेरी कोई शाम तुमसे खाली नहीं होती।"🌙🌙




"तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान हो,तुम्हारी जिन्दगी में सारे रंग हो,तो मेरे दिल की आधी दुआएँ कुबूल हो जायेगी।
पर कभी कभी ये दिल कहता है कि तुम्हारी एक दुआ👸👸
मे कभी मेरा नाम आ जाये तो ..........
जबकि इस दिल को खबर है कि ये उम्मीदो की झूठी दुनिया है।"💖💖



💕💕  Zla India-आपके दिल की आवाज़ /  हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप .......कुछ एहसास जो छू ले दिल को.... 💕💕


सफलता के उस पार

👍👍 आज निकल पड़ी है जिन्दगी एक ऐसी राह पर,
कि जिँये तो जिँये और मरे तो धूल में मिल जायेंगे।
आगे बढे तो बहुत आगे बढेंगे और पीछे हटे तो,
ओरों से भी बहुत पीछे रह जायेंगे।"




"आज ले आयी है जिन्दगी एक ऐसी राह पर,
कि पीछे ना मुडने की कसम खाकर आये है।
और आगे एक छोर से कूदकर दूजे छोर पर जाना है।"💃💃


aage badhne ki hod



✌✌"आज जान भी अपनी हथेली पर रख ली,
चलो देखते है जिन्दगी कहाँ लेकर जाती है।
मुश्किलों की इस खाई को कूदकर,
सफलता के उस छोर पर पहुँच पाते है,
या इस खाई में गिरकर हमेशा के लिए समाप्त हो
जाते है।"👆👆

भारत जागो विश्व जगाओ -Read More



🌿🌿 आज साँसों को पूरी रफ्तार दे दी,
आज हौसलों के पंख खोल दिये है।
आज हारने के डर को कहीं दूर छोड़,
इस छोर से उस छोर पर कूदने के लिये निकल पडे है।"🌅🌌





👫 चलो आज चलते है अपनी मंजिल की ओर,
जीते तो सिकन्दर बन जायेंगे,
और हारे तो धूल मे मिल जायेंगे।
आगे बढे तो बहुत आगे तक जायेंगे
और नीचे गिरे तो जुनुन पर जिन्दगी लुटायेंगे।"




"चलो आज चलते है उसी जुनून की राह पर,
जहाँ जिँये तो जिँये और मरे तो धूल में मिल जायेंगे।"👎👍👍



💕💕  Zla India-आपके दिल की आवाज़ ,जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ जिनके नायक होंगें आप|आपके दिल की आवाज़  , कुछ एहसास जो छू ले दिल को ...💕  💕


वो फीकी सी चाय

"आज बारिश की कुछ बूँदें जैसे इस जमीन पर आने का
इंतजार कर रही है,ऐसे ही इंतजार किया था उस रोज मैंने तुम्हारा।
मेरी और तुम्हारी वो पहली बारिश जिसमें हम साथ भीगे
थे,आज जैसे कुछ याद लेकर वापस लौट आयी हो।
आसमान से गिरती इन बूँदों के साथ कुछ यादें जेहन में
उतर आयीं है।

जैसे मैं रूठी थी तुमसे - Read More



😊😊"घण्टों तक तुम्हारी राह देखता रहा था मैं।
तुम्हारे साथ पी वो चाय जिसको टपकती
बूँदों ने फीका सा कर दिया था,आज भी जैसे वो मेरी
जिन्दगी की सबसे मीठी चाय है।"🍀🍀



कुछ पुरानी यादें



"कितने बदल गये है हम,सालों से फुरसत के
कुछ पल साथ नही बिताये।
तुमको देखता तो आज भी हूँ,
पर कहाँ देखा है |
 तुम्हें देखकर भी,
तुम्हारी उस मासूमियत को कहाँ मासूम कह पाया हूँ।
तुम्हारे गीले बालो से छिटकीं वो बारिश की बूँदें,
जो मेरे चेहरे पर जैसे आज भी मौजूद हो।
कब कहा है तुमसे कि तुम गीले बालों में बहुत
खूबसूरत लगती हो।"




⛅⛅"मेरी हर सुबह आज भी तुमको देखकर ही शुरू होती है,
लेकिन कुछ अल्फाज जो तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान देते है।
इस जिन्दगी की जद्दोजहद में मैंने उनको खोया है।
जाने कब से नहीं कहा तुमको,
कि तुम्हें देखने से मेरी हर सुबह खूबसूरत हो जाती है।"⛅⛅




"बहुत आगे बढ रहा हूँ हर दिन,
लेकिन फिर भी पहले सी अब वो मुस्कान नहीं है।
अब तुम्हें हर चीज़ खरीदकर देता हूँ,
पर वो खुशी नहीं है,जब पहली बार मैंने अपनी
पॅाकेट मनी से पैसे बचाकर तुम्हारे लिए वो
 खूबसूरत ड्रेस खरीदीं थी।"👗💗💗




💕💕"आज यूँ लगा है कि जिन्दगी के बीते पल
जैसे वापस लौट आए हों।
जाने कब से मैंने खुद को खुशनसीब
नहीं कहा है।"💕💕


👫💝"चलो आज फिर से भीग लेते है इस बारिश में।
मैंने और तुमने जिन्दगी से जो पल खोये है,
उनको फिर से समेट लेते है।
चलो आज बारिश की बूँदों के बीच
फिर से प्याले से चाय पीते है।☕☕
वो फीकी सी चाय जिसको तुम्हारे
एहसास ने मीठा किया था।"💢💢


💑"आज फिर से तुम्हारे बालों से छिटकीं
उन बूँदो के बीच जिन्दगी के रंगों को
ढूंढ लेता हूँ।
चलो आज फिर से इस बारिश में भीग जाते है।
चलो आज फिर से इस बारिश में भीग जाते है।"💑



💕💕 Zla India-आपके दिल की आवाज़ ,जुड़े रहिए कहानियो और कविताओ  के  साथ  जिनके नायक होंगे  आप.................कुछ एहसास  जो छू ले दिल को........ 💕💕




जैसे मैं रूठी थी तुमसे

💓💓"एक अरसे से कलम चलना नही चाहती,✎✎
 जैसे मैं रूठी थी तुमसे |
कहने को कुछ बाकी  भी न रहा हो जैसे ,पर फिर भी कुछ बाकी रहा हो |
कुछ कहना चाहती है ये,जिसको मैं कहना नही चाहती |"🔯🔯


तुम मेरी जिन्दगी की आवाज़ हो -Read More 




💔💔"कभी बड़ी चाहत थी तुमसे और एस कलम से भी ,
अब कलम उठाती हूँ तो ये कुछ गिले शिकवे करना चाहती है 
जो कि मैं कहना नहीं चाहती |"




toota hua dil duaaye krta




💔💔"दर्द के अल्फाज दिल में ही दफ़न हो गये,
तो एक दिन मिट जायेगे |
कागज पर उकेर दिए तो कभी नहीं मिट पायेगे |"💔💔💔



🔃🔃"तुम्हारी बेवफाई की  मिशाल बनकर,
 ये हमेशा के  लिए  इस दुनिया में रह जायेंगे |
और मैं सदियों तक कागज के उन पन्नो पर ,
दर्द में तुम्हें तलाशती रहूंगी |"♥♥



🌱🌱"बस इसलिए ये कलम चलना नहीं चाहती ,
कुछ लिखूंगी तो तुम सह नहीं पाओगे |
जमाना तुम्हे गालियाँ देगा, लोग मुझ पर प्यार जतायेंगे|
मैं बेबस नजर आउंगी और तुम बेखबर नजर आओगे ,
जो कि मैं सह नहीं पाऊँगी|"👧👧


💘💘"अब तुम मेरे दिल का दबा हुआ दर्द हो ,
जो कि सिर्फ मेरा है |
तुमको लिखूँगी तो तुम सबके बन जाओगे ,
जो मुझे अच्छा  नहीं लगेगा |
भले  तुमने मुझे तोडा है ,दर्द दिया है,तकलीफ दी है|
पर फिर भी तुम्हारा दिया वो दर्द  सिर्फ मेरा है,
जैसे कभी तुम मेरे थे|
जैसे कभी तुम मेरे थे|
उसे बाँटने का हक़ तो इस कलम को भी नही |"💘💘



👫"जैसे कभी तुम मेरे थे 
जैसे कभी तुम मेरे थे 
उसे बाँटने का हक़ तो इस कलम को भी नही|"✎✎✎






💕💕 Zla India - आपके दिल की आवाज़,हमेशा जुड़े रहिए कहानियो और कविताओ के  साथ, जिनके नायक होंगे आप........कुछ एहसास  जो छु ले दिल को............ 💕💕



एक सत्य (जीवन और मृत्यु)

कई बार हमारे आसपास कुछ ऐसा घटित होता है,जो सोचने पर मजबूर कर देता है,कि जीवन क्या है??
किस वजह से है और कब तक है??
ये एक सवाल जिसका जवाब किसी के पास भी
नहीं होता।अक्सर जब ख्याल दिल में हो,तो
कलम कुछ कह डालती है -
मौत को करीब से देखना




"ये साँसें और ये जीवन क्या है??
कभी सोचना गहराई से।
ये जीवन एक हवा का झोंका है।
कब एक तूफान इसके पास से गुजरता है
और ये हवा का झोंका,इस जिस्म को छोड़
कोसों दूर निकल जाता है।
इसकी खबर कहाँ और किसको हो पाती है।"

वो ईश्वर और मैं-Read More



"श्मशान में जलती आग जलकर,सिंधडकर ठण्डी पड़ जाती है कुछ ही घंटों में।
जिन्दगी का सूनापन बढता जाता है,गुजरते हुए पल दर पल।
कई रिश्ते और जिन्दगी हार जाते है
और बड़े अदब से जीतकर निकल जाती है मौत।
मौत यथार्थ है,शाश्वत है।
लेकिन मोह इस शाश्वत से नहीं जिन्दगी से होता है,
जो क्षणभंगुर है।
इस पल है उस पल की उम्मीद ही नहीं है।
जिन्दगी के सारे रंग श्वेत कफन में आयी मौत,
कब उजाड़ देगी,ये ना एहसास होता है ना खबर।
जिन्दगी के दरवाजे पर दस्तक दिये बिना,मौत चुपके से
आती है किसी शातिर लुटेरे की तरह।
और चुरा ले जाती है एक जिन्दगी और कई चेहरों की मुस्कान।
मुझे कभी मौत से डर नहीं लगता,प्रेम करती हूँ
मैं मौत से बेइम्तहां।
और इंतजार कर रही हूँ उसका पल दर पल।
डर लगता है तो बस तुम्हें खोने से,
तुम सब जो मेरी जीवन की डोरी में मोती से सजे हो।
हर रोज दुआँ करती हूँ,हर सुबह हथेली पढती हूँ।
बस इतना सा चाहिए मुझे
मेरे अपने साथ रहे बस आखिरी सांस तक,
क्योंकि श्मशान में जलकर,सिंधडकर
जब आग बुझ जाती है,तब कई जिन्दगी
जलनी शुरू हो जाती है।"




"मौत यथार्थ है,सत्य है
मौत यथार्थ है,सत्य है।"



Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को....










जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी -पार्ट-4 )

जिन्दगी धूप तो नही पार्ट 1- Read More

जिन्दगी धूप तो नही पार्ट 2- Read More

जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-3)-Read More




शादी की बात सुनते ही सारंग के जेहन में एक वर्षो पुराना वादा याद आ गया और उसका चेहरा पहले से भी ज्यादा मुरझा गया था,उसने जवाब देते हुए कहा था -नहीं,मैनें शादी नहीं की।सारंग के साथ थोड़ी बातचीत करके वे दोनों चले गये थे।सारंग का मन विजेन्द्र सर के पास जाकर उनसे आशीर्वाद लेने का कर रहा था,लेकिन उसकी हीन भावना उसे रोक रही थी,कि क्या जवाब देगा वो विजेन्द्र सर को।उसका दिल अन्दर ही अन्दर रो रहा था और उसे एक ऐसी पीड़ा हो रही थी कि वो इन सब से कहीं दूर चला जाए,जहाँ उससे कोई कुछ ना पूछे और कुछ आँसू गिरा ले।

सफर संघर्ष का







अपने अन्दर उठते इस तूफान से लडते हुए सारंग ने विजेन्द्र सर के पास जाने का मन बना ही लिया था।सारंग ने विजेन्द्र सर के पास जाकर उनके पैर छूए थे।विजेन्द्र सर ने उसे पहचान लिया था और मुस्कुराते हुए बोले थे -अरे सारंग तुम,एक नजर उसकी तरफ डालकर फिर से बोले थे,कौन से फील्ड मे सेटल हो चुके हो।सारंग ने कोई जवाब नहीं दिया था बस नजरें झुका ली थी और फिर अगले पल धीरे से बोला था -कहीं सेटल नहीं हो पाया सर असफल रह गया हूँ।
तुम जैसा होनहार दुनिया की भीड़ में कहीं पिछड गया,यकीन नहीं होता,विजेन्द्र सर ने बड़े अफसोस के साथ कहा था।सारंग बस चुप ही रह गया था और हल्की सी मुस्कान के साथ सिर हिलाकर स्वीकृति दी थीं।आँसुओं की कुछ नमी आँखों में उतर आयी थी जिसे उसने बड़ी मुश्किल से रोका था।




रात के दस बज चुके थे,सभी लोग हॅाल मे इकट्ठा हो चुके थे,जहाँ शादी होनी थी।सभी मेहमान और महिलाएं एकसाथ उसी हॅाल मे थे।नवीन के नये दोस्त उसके साथ थे और सारंग कहीं पीछे एक कोने में सबसेअलग बैठा था।स्मृति की नजरें उसे कहीं ढूंढ रही थी,लेकिन वो कहीं नहीं दिख रहा था,वो थोड़ा सा परेशान थी कि सारंग नवीन के साथ नहीं तो फिर कहाँ है??
वर्षों पुराना एक रिश्ता जो दिल के बेहद करीब रहा हो,अगर वो अचानक से ऐसी हालत में सामने आ जाए जैसा हमने सोचा ना हो,तो थोड़ी परेशानी तो होती है ,ये जानने की,कि वो ऐसी हालत में क्यों हैं और जब वो बिना कुछ जवाब दिए नजरों से ओझल हो जाएं तो ये परेशानी ओर भी बढ जाती है।स्मृति के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था।सारंग के ना दिखने से वो थोड़ी परेशान थी।भीड़ को चीरते हुए यहाँ-वहाँ उसकी नजरें सारंग को तलाश रही थी।अचानक से उसकी नजर उस तरफ गयी जिस कोने में सारंग बैठा था,सारंग को यूँ अकेला बैठा देखा तो स्मृति की बैचेनीं थोड़ी सी ओर बढ गयी और उसका मन आतुर हो उठा कि वो सारंग के पास जाकर उससे पूछे।


थोड़ी देर तक स्मृति वहाँ जाने का मौका तलाशती रही।नवीन और दुल्हन सात फेरो के। लिए मण्डप में। बैठ चुके थे,स्मृति की नजरें सारंग की उदासी को। ताँक रही थी।मौका मिलते ही स्मृति के कदम उस ओर बढ चले थे,वो सारंग के पास पहुँचते ही मुस्कुराकर बोली -हाय यहाँ अकेले  क्यों बैठे हो?? सारंग ने स्मृति के आने का ध्यान भी नहीं दिया था इसलिए चौंकता हुआ सा बोला था - अ..........हाँ बस ऐसे ही।सारंग कुर्सी से खड़ा हुआ था और हल्की सी मुस्कान स्मृति की तरफ दी थी।आगे बातचीत बढाने के लिए स्मृति ने ही पूछ लिया था -ओर कौन सी डिस्ट्रिक्ट मे सर्विस दे रहे हो,कैसा चल रहा सबकुछ??
ये एक ऐसा सवाल था जिसने उसे अन्दर तक झकझोर दिया था,उसकी दुखती रग पर स्मृति ने हाथ रख दिया था।उसके चेहरे पर एक असीम दर्द छलक आया,इससे पहले वो कुछ बोल पाता किसी ने स्मृति को पुकारते हुए बुलाया था।सारंग के चेहरे पर उस तकलीफ को स्मृति ने भाँप लिया था लेकिन मजबूरन उसे वहाँ से जाना पड़ा।उसने जाते हुए पीछे सारंग की तरफ पलटकर देखा तो वो हॅाल के। पिछले दरवाजे से बाहर निकल गया था।इस बात से स्मृति ओर ज्यादा परेशान हो गयी थी।


थोड़ी देर बाद वो फिर से सारंग को ढूंढने लगी थी।स्मृति हॅाल के पिछले दरवाजे से बाहर निकलीं जो गार्डन में जाता था उसने नजरें दौडाकर इधर-उधर देखा था।सारंग एक पेड़ के पास वाली बेंच पर बैठा था,गार्डन की लाइट बंद थी,लेकिन फिर भी चाँद की रोशनी में स्मृति ने सारंग को पहचान लिया था।स्मृति ने लाइट अॅान की थी।सारंग ने पीछे पलटकर देखा कि यहाँ कौन आया है? स्मृति को देखकर उसने एक शान्त स्वर में कहा था -इन लाइट्स को बंद कर दो स्मृति,यहाँ चाँद की रोशनी फैली है जिसमें रहने का अधिकार सबका है और इतनी कीमती लाइट्स में रहने का अधिकार किसी -किसी का होता है।स्मृति सारंग की इन उलझी उलझी बातों का अर्थ नहीं समझ पा रही थी।इसलिए लाइट्स बंद करते हुए सारंग की तरफ चल दी थी और जाकर उसी बेंच के दूसरे छोर पर जिसके एक छोर पर सारंग बैठा था।यहाँ क्यों बैठे हो स्मृति ने गम्भीरता से पूछा था।


तुम यहाँ क्यों आयी हो सारंग ने वापस पूछ लिया था।सवाल मैंने किया है सारंग,जवाब पहले तुम दोगे,स्मृति ने कहा था।बस ऐसे ही सारंग ने धीमी आवाज़ में कहा।
अब तुम बताओ यहाँ क्यों आयी हो ?
बस ऐसे ही स्मृति ने भी जवाब देते हुए कहा था।जबकि वे दोनों अच्छे से जानते थे कि ये सब ऐसे ही नहीं हो रहा है,लेकिन फिर भी एक दूसरे को यही जवाब दिया था।स्मृति ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा था -थोड़ी देर पहले मैंने तुमसे कुछ पूछा था कि कौन सी डिस्ट्रिक्ट मे हो आजकल।ये सुनते ही सारंग का चेहरा फिर से तकलीफ से भर गया था और उसने एक लम्बी सांस लेते हुए जवाब दिया था - तुम्हें लगता है मैं आईएएस बनने के बाद अपना वादा भूल गया।लेकिन सच ये है कि मैं उस काबिल ही नहीं बन पाया कि तुम्हारी फैमिली से आकर तुम्हारा हाथ माँगता,अच्छा हुआ जो तुमने शादी कर ली,वरना मेरे इंतजार में ताउम्र कुंवारी बैठी रहती।
सारंग की बातों से स्मृति को बहुत दुख हुआ था,उसका चेहरा दुख और उदासी से मुरझा गया था और वो पूछने लगी थी -तुम आईएएस नहीं बन पाये।सारंग ने स्वीकृति में सिर हिलाया था,उसकी आँखों में नमी छलक आयी थी और वो कुछ नहीं बोल पाया था।





कुछ देर के लिए वे दोनों खामोश हो गये थे,लेकिन चाँद की रोशनी में एक दूसरे को देख पा रहे थे।स्मृति ने ही इस खामोशी को तोड़ा था और बोली थी -अगर मैं कहूं मैंने कभी तुम्हारा इंतजार ही नहीं किया।
ये सुनने के बाद सारंग ने स्मृति की तरफ देखा था,स्मृति भी उसकी तरफ ही देख रही थी।
सारंग बस खामोश रहा था उसने कुछ नहीं पूछा था,लेकिन स्मृति बिन पूछे ही बताने लगी थी -मैंने अपने सपने और प्यार दोनों को खोया है।तुमसे वादा किया था कि मैं तुम्हारा इंतजार करूँगी,लेकिन नहीं कर पायी।तुम्हारे जाने के बाद मैं दिल्ली का एक कोचिंग इंस्टिट्यूट जॅाइन करना चाहती थी,आईएएस की स्टडी स्टार्ट करने के लिए।लेकिन फैमिली कुछ ओर चाहती थी,अपनी राजनीतिक पहचान बनाने के लिए उन्हें इस क्षेत्र के सबसे बड़े विपक्षी से रिश्ता जोडना था ताकि फिर कोई आगे राजनीति में नवीन का रास्ता ना रोक पाये।आज दुनिया जानती है कि नवीन एक बहुत बड़ा नेता और इस क्षेत्र का विधायक है लेकिन ये कोई नहीं जानता कि उसे यहाँ तक पहुंचाने में किसी ने अपने सपनों की अपने प्यार की कुर्बानी दी है।उसके ओहदे की बिल्डिंग के नीचे मेरे सपनों की नींव दबी है।बहुत तकलीफ होती है जब ये ख्याल आता है कि मैं अपने जीवन में अपने सपनों के लिए,अपने प्यार के लिए कुछ भी ना कर पायी,ये कहते हुए स्मृति का गला भर आया था और सारंग की भी आँखें छलक उठी थीऔर दो चार आँसू टपक पडे थे ।खामोशी ने उनके दर्द को आवाज़ दे दी थी।


जिन्दगी की एक हकीकत से उनका सामना हो रहा था,कुछ देर तक दोनों चुप हो गए थे।स्मृति और सारंग की खामोशी में कुछ अनकहे जज्बात घुल गये थे।अपने आपको थोड़ा सम्भालने के बाद स्मृति ने कहा था -आज एहसास हो रहा है कि मैंने एक नहीं बल्कि दो दो सपनों को टूटते देखा है,तुम्हारे लिए जो सपना देखा था,वो भी टूट गया।लेकिन सपनों के टूटने से जिन्दगी नहीं रूकती,देखो मैं आज भी जिन्दा हूँ।सारंग ने स्वीकृति में बस इतना ही कहा था -और मैं भी।


स्मृति ने फिर से सारंग से पूछ लिया था तो फिर आजकल क्या कर रहे हो? एक पल की खामोशी के बाद सारंग ने एक लम्बी सांस खींचते हुए जवाब दिया था -बस इसी सवाल से बचने की कोशिश कर रहा हूँ ,जहाँ भी जाता हूँ ये सवाल पीछा नहीं छोडता,कि तुम क्या कर रहे हो?


इसी सवाल से बचने के लिए रात में नींद की गोलियां खाकर सोता  हूँ,सोते वक्त भी ये सवाल पीछा नहीं छोडता और रात में सपनों मे हजार बार खुद से पूछता हूँ कि मैंने अपनी जिन्दगी में क्या किया? इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं होता,इसलिएअब कभी कभी पीने भी लगा हूँ।सारंग की बातें सुनकर स्मृति को बहुत दुख हुआ था और उसने गम्भीरता से कहा था -शादी क्यों नहीं कर लेते,इस तनाव से बाहर आने के लिए ये जरूरी है।ये सुनकर सारंग थोड़ा मुस्कुराया था और बोला था - शादी,कौन करेगी एक असफल इन्सान से शादी,जिसके पास खुद तो खाने के लिए है नहीं,उसे क्या खाक खिलायेगा।वैसे भी उम्र भी नहीं रही,सिर पर सफ़ेद बाल जीवन और सपनों के ढलने का संकेत दे रहे है।इस बची-खुची जिन्दगी में माँ की थोड़ी सेवा करनी है बस,पिताजी तो सेवा के इंतजार में चल बसे।


सारंग की बातें सुनकर स्मृति को उसकी तकलीफ और हालातों का अंदाजा हो रहा था,वो बिना देर किए बोल उठी थी -तभी तो कह रही हूँ शादी कर लो,बुढापे में माँ की थोड़ी सेवा हो जायेगी।सारंग जिन्दगी धूप नहीं है कि हमेशा चमकती रहेगी।जिन्दगी में कालिक भरे,अंधेरो से भरे बहुत सारे पल आते है,लेकिन जिन्दगी कभी नहीं ठहरती।इस बार सारंग चुप हो गया था और स्मृति उसके जवाब का इंतजार करने लगी थी।


कुछ देर के बाद सारंग ने खामोशी तोडते हुए कहा था -तुम किसी की पत्नी हो,इतनी रात गये,तन्हाई मे किसी दूसरे पुरुष के साथ ठहरना अच्छा नहीं माना जाता,यूँ किसी के दर्द को बाँटना नाजायज़ समझा जाता है,इसलिए यहाँ से जाओ स्मृति।सारंग के हर एक लफ्ज मे छलकते दर्द से स्मृति अनजान नहीं रही थी,अपने प्यार को खोने की तकलीफ सारंग के शब्दों के साथ साथ उसकी आवाज में भी छलक रही थी।स्मृति के पास सारंग की बात का कोई जवाब नहीं था,इसलिए वो खड़ी होकर चलने ही वाली थी,कि उसके कानो में सारंग की आवाज गूँज उठी -




"मैंने रोशनी से अंधेरो में खुद को ढलते हुए देखा है।
हर एहसास को जिन्दगी से फिसलते हुए देखा है।
अपने प्यार को छोडा था जिन सपनों के भरोसे,
उन सपनों को टूटकर बिखरते हुए देखा है।
अच्छा किया मेरा इंतजार ना कर पायी तुम,
इस इंतजार में मैनें खुद को जलते हुए देखा है।"




सारंग की ये लाइन्स सुनने के बाद,स्मृति की भी आँखों में पानी उतर आया था,उसने सारंग से पूछ लिया था -शायरी कब से करने लगे?
सारंग ने मुस्कुराते हुए कहा -जब से जिन्दगी आगे निकल गई और मैं पीछे रह गया।स्मृति के आँसू गालो पर ढलक आये थे और वो बिना एक शब्द बोले वहाँ से चली गई थी।सारंग बस उसे देखता रह गया था।स्मृति से अपने दिल की सारी बातें कहने के बाद उसका दिल हल्का सा हो गया था।
आसमान में चमकते उस मंद से तारे की तरह सारंग अपने सपनों के आसमान में फिर से अपना अस्तित्व ढूंढने लगा था,और इसी जद्दोजहद में वहीं उसी बेंच पर सो गया था।उसे उम्मीद थी कि अगली सुबह जैसे इस अंधकार को मिटा देगी,वैसे ही इस हकीकत को भी मिटा देगी कि वो एक असफल इन्सान है।


उसे उम्मीद थी  कि जिन्दगी में फिर से मुस्कुराने के
 पल आयेंगे,उम्मीदो का सवेरा होगा और ये जिन्दगी धूप की तरह खिल जाएगी ।

Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को....






























जिंदगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-3)


जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-1)-Read More

जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-2)-Read More




वॉचमैन ने सारंग की बात मानने से इनकार करते हुए कह दिया था कि वो उसे अंदर जाने की इजाजत नहीं देगा इसलिए वो बाहर के दरवाजे के पास वाली बेंच पर बैठकर इंतज़ार करे,जब तक नवीन चौधरी बिजी हैं|बाद में उनकी इजाजत से ही अंदर आने का मौका दिया जाएगा|सारंग बोझिल से कदमों से बाहर की तरफ चल दिया था|उसके चेहरे पर मायूसी और होठों पर असीम ख़ामोशी छा गयी थी|सारंग बाहर आकर दरवाजे के पास पड़ी बेंच पर बैठ गया था|शादी के लिए एक के बाद एक गाड़ियाँ आकर रुक रही थी और बहुत सारे लोग सारंग के पास से होकर अंदर जा रहे थे,लेकिन सारंग चुपचाप बाहर बैठा हुआ था,दिल में कुछ जज़्बात उमड़ रहे थे लेकिन ना पास में पेन था,ना डायरी थी इसलिए होठों ही होठों में बुदबुदाया था-

सफर संघर्ष का







"मैनें अक्सर बदलते हालातों को देखा है,हजार बार खुद को धुल में सिमटते हुए देखा है|
 कदम जितनी बार भी बढ़ाए आगे बढ़ने को,हर कदम को पीछे घिसटते हुए देखा है|
 हर सुबह शुरू होती थी जिसके साथ,हर शाम जो साथ होता था,
 आज उसी दोस्त के इंतज़ार में खुद को जलते हुए देखा है|
 क्यूँ करवट लेती है किस्मत इतना,क्या खता हुई थी मुझसे,
 एक राह से आगे बढ़कर उसे आसमान छूते हुए और खुद को धुल में मिलते हुए देखा है।
 ना शिकवा है खुदा से,ना कुछ पाने की चाह है,
बस एक जिद है अपनी जिससे मैंने खुद को हर बार गिरकर सम्भलते हुए देखा है|"






                                   इन लाइनों को होठों ही होठों में बोलते हुए सारंग मन ही मन सोचने लगा था,हर बार ठोकर लगने के बाद मैं खुद को संभाल लेता हूँ|सोचा भी नहीं था कि मेरे अंदर अब भी इतनी हिम्मत होगी कि मैं सारी बातों को भूलकर यहाँ नवीन की शादी में आ जाऊंगा|बचपन से ही मुश्किलों से सामना होता आया है और आगे भी शायद जीवनभर ये ही साथ निभाएं|कितने सपने लेकर गया था यहाँ से लेकिन सब चकनाचूर हो गये...यही सोचते-सोचते सारंग के ज़ेहन में कुछ पुरानी यादें ताज़ा हो गई...कॉलेज ख़त्म होते ही सब लोग अपनी-अपनी मंजिल की ओर निकल पड़े थे|


                 अपनी आँखों में आईएएस बनने का सपना संजोये सारंग घर से सिर्फ दो-चार जोड़ी कपडे और कुछ खाने-पीने का सामान लेकर निकला था|माता-पिता की ऐसी हालत नहीं थी कि वें सारंग का शहर में रहने का खर्चा उठा पाए ऊपर से सारंग की बड़ी बहन की शादी भी करनी थी लेकिन बड़ी उम्मीदों के साथ उन्होंने सारंग को शहर भेजा था|वहां जाकर उसने वो कमरा किराये पर लिया जिसमें वो अब रहता है|उसी कमरे की चारदीवारी में कैद है सारंग की जिंदगी|अपना खर्च उठाने के लिए उसने कुछ बच्चों को ट्यूशन पढाया और बाकि बचे पूरे समय में जी जान से पढाई की|उस कमरे की हर एक चीज गवाह है कि उन्होंने सारंग की जी-तोड़ मेहनत को देखा है|सारंग अट्ठारह-अट्ठारह घंटे पढाई करता था लेकिन कई बार मेहनत के साथ किस्मत साथ नहीं दे पाती|सारंग ने भी उसी तकलीफ को जिया|तीन बार आईएएस का एग्जाम दिया|पहले प्रयास में प्री-एग्जाम क्लियर किया,दूसरे प्रयास में प्री और मेन दोनों एग्जाम क्लियर किये,लेकिन इंटरव्यू क्लियर ना कर पाया और किस्मत का एक नया खेल ये कि अब की बार सारंग प्री-एग्जाम भी क्लियर नहीं कर पाया था,ऊपर से ये उसका आखिरी मौका था,अब आगे उसकी उम्र नहीं रही थी एग्जाम देने की|


                        सारंग के पास कुछ नहीं था,उसके हाथ खाली के खाली रह गये थे|पिछले दो महीनों से जब से रिजल्ट निकला था,असफलता और निराशा की बैचेनी उसे घेरे थी|वक्त-बेवक्त सारंग को अकेला देखते ही तोड़ देती थी|एक जीनियस असफलता के गर्त में चला गया था|बाहर बेंच बैठा सारंग इन्हीं कुछ ख्यालों के साथ अपने पास से गुजरते हर शख्स को देख रहा था|उसकी नजरें शून्य में देख रही थी कि तभी वहाँ एक गाड़ी आकर रुकी|उसमें से हरी और गुलाबी साडी पहने स्मृति उतरकर जैसे ही अंदर की तरफ चली,उसकी नजरें बेंच बैठे सारंग पर पड़ी|सारंग ने भी उसे देख लिया था|कुछ क्षणों के लिए एक दूसरे को देखते ही रह गये क्योंकि अब दोनों हो बहुत बदले-बदले से थे|स्मृति को तो बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि वो सारंग को इस हालत में देखेगी|सारंग के चेहरे पर उदासियों ने डेरा डाला हुआ था,दाढ़ी भी थोड़ी सी बढ़ी थी,सिर पर एक-दो सफ़ेद बाल भी दिख रहे थे,कपडे भी नये नहीं थे...और स्मृति की तो शादी भी हो चुकी थी इसलिए सारंग के लिए भी स्मृति का ये रूप एकदम नया था|आखिरी बार उसने उसे सलवार-कमीज में फेयरवेल पार्टी में देखा था और अब वो महँगी साडी में और ऊँची हिल्स पहने थी|





                     सारंग को देखकर स्मृति मुस्कुराते हुए बोली थी-'सारंग,तुम!!यहाँ क्यों बैठे हो?' 'हाँ,वो मैं मैरिज इन्विटेशन कार्ड लाना भूल गया था|' सारंग ने भी एक हल्की सी मुस्कान के साथ जवाब दिया|'कोई बात नहीं,चलो फिर अंदर..'ये कहते हुए स्मृति ने अंदर की तरफ इशारा किया था|सारंग बेंच से खड़ा हुआ था और स्मृति के साथ अंदर की तरफ चला था|उसके कदम अब पहले से भी बोझिल हो गए थे और जेहन में कुछ ख्याल उमड़ रहे थे|स्मृति को भी अंदर से थोड़ी बैचेनी हो रही थी कि सारंग ऐसी हालत में क्यूं है?
 
                        उन दोनों ने एक-दूसरे से कुछ नहीं कहा था,लेकिन ख़ामोशी से ही कुछ बातें हो रही थी|वो फेयरवेल पार्टी में एक-दूसरे से किया वादा याद आ रहा था और दोनों एक-दूसरे को हकीकत की एक दास्तान समझा रहे थे|ज़ेहन में कुछ सवाल उठ रहे थे जिन्हें एक-दूसरे से जानना चाह रहे थे लेकिन ना वक्त था और ना हालात| स्मृति के साथ सारंग एक बहुत बड़े हॉल में पहुँच चुका था,जहां बहुत सारे मेहमान पहले से मौजूद थे|स्मृति उसे वहाँ छोडकर चली गयी थी|


                         सारंग भी वहाँ एक कुर्सी पर बैठ गया था|दोपहर का लंच करने के बाद शाम होने को आयी थी लेकिन नवीन सारंग को कहीं दिखाई नहीं दिया था|शाम होते-होते शादी की तैयारियां बड़े जोर- शोर से चलने लगी थी|स्मृति ने नवीन को सारंग के बारे में बताया था|शाम को नवीन हॉल में सारे मेहमानों के बीच पहुंचा|सारंग के साथ नवीन का हाय-हेलो हुआ और नवीन ने सारंग को गले लगाते हुए पूछा-'और क्या रहा तेरे एग्जाम का?' सारंग ने मना करते हुए कहा-'नहीं हुआ|' नवीन थोडा हँसते हुए बोला था-'यार तुझे हजार बार समझाया कि पढने-लिखने से कुछ नहीं होने वाला|मुझे देख क्या बिंदास लाइफ जी रहा हूँ|जूते भी नौकर उठाकर रखता है|सारंग को नवीन की ये बात बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी थी|वो मुस्कुराया तो था लेकिन उसे अच्छा नहीं जग रहा था|दुखी और निराश ह्रदय पर एक सामान्य सी बात भी गहरा घाव कर देती है| सारंग के अंदर की बैचेनी और तकलीफ को नवीन भांप ही नहीं पाया था|एक-दूजे के बहुत करीब रह चुके दोस्तों को इन आठ सालों की दूरी ने बहुत दूर कर दिया था| उस पर दोनों के हालात भी बिलकुल जुदा थे|नवीन मेहनती ना होते हुए भी इतने ऊँचे औहदे पर पहुँच गया था कि पद का थोडा गुरूर उसके अन्दर आ गया था और सारंग लगनशील और मेहनती होते हुए भी सफलता तक नहीं पहुँच पाया था|सारंग नवीन के अंदर उस गर्मजोशी और दोस्ती के अहसास को ढूँढता रह गया था|



                        दोपहर से इंतज़ार करते हुए शाम को नवीन से मुलाक़ात हुई थी और ये मुलाकात भी बहुत औपचारिक थी|सारंग से मिलने के बाद नवीन और मेहमानों से मिलने के लिए उनके पास पहुँच गया था|हर आदमी नवीन की तारीफ़ कर रहा था कि उसने अपनी मेहनत के बलबूते इतना बड़ा मुकाम हासिल किया है| नवीन की शादी में विजेंद्र सर भी आये थे|नवीन ने उनके पैर छूए थे तो विजेंद्र सर ने उसे गले लगाते हुए मुस्कुराकर कहा था-'आज हमें तुम पर गर्व है|तुमने हमारा नाम रोशन किया है|' सारंग मेहमानों के पास एक कोने में बैठा सबकुछ ख़ामोशी से देख रहा था और हर आदमी की कही बातों को सुन रहा था|

                      तभी उसके पास कॉलेज के दो दोस्त आये और बड़ी गर्मजोशी से आकर बोले-'अरे!सारंग यार तू!!क्या हाल बना रखा है?कहाँ है आजकल?तेरी तो कोई खबर ही नहीं|' सारंग उनकी बातें सुनकर एकदम चौंक सा गया था,जैसे किसी बात से उसका ध्यान भंग हो गया हो|सारंग मुस्कुराते हुए कुर्सी से खड़ा हुआ था और उन दोनों से गले मिला था|उन्होंने सारंग से पूछा कि वो आजकल कहाँ जॉब कर रहा है?सारंग के पास कोई जवाब नहीं था|उसने बस इतना ही कहा था-आईएएस का एग्जाम दिया था लेकिन क्लियर नहीं हो पाया|ये सुनकर वे दोनों कहने लगे थे-'यार,तूने रास्ता ही गलत चुना,हम दोनों को देख इंजीनियरिंग डिप्लोमा करके जॉबी कर रहे हैं|अच्छे से लाइफ गुजर रही है और अच्छी अपनी फैमिली है|' सारंग बस चुप हो गया था|वे फिर से पूछने लगे थे-'अच्छा,शादी कब की?' शादी की बात सुनते ही सारंग के ज़ेहन में वर्षों पुराना किया हुआ एक वादा उभर आया और उसका चेहरा पहले से भी ज्यादा मुरझा गया|...... To be continue in part 4.....


जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-4)-Read More



Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को....


जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी -पार्ट-2 )

                                 

जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-1)-Read More



सारंग के चेहरे पर हवा के झोंके टकरा रहे थे,और अतीत की यादों की एक -एक परत खुलती जा रही थी।सारंग क्लास का बेस्ट स्टूडेंट था और उसके बाद नवीन की कजिन स्मृति और नवीन तो क्लास क्या कॅालेज का सबसे लो स्टूडेंट था।फेमस था तो अपने स्टाइल और रौब के कारण।कोई ऐसा पीरियड नहीं होता था,जिसमें टीचर नवीन को क्लास से बाहर ना निकालते हो।ओर सारंग को हर क्लास में पुरुस्कार दिया जाता था।
पता नहीं अब भी इतना ही बिंदास होगा या थोड़ा जिम्मेदार हो गया होगा नवीन,इसी ख्याल के साथ सारंग के जेहन मे कॅालेज टाइम का एक वाक्या आ गया।कॅालेज मे एक समारोह था,जहाँ सारे स्टूडेंटन्स को अपने विचार रखने थे कि वे। अपनी जिंदगी में क्या बनना चाहते है।एक-एक करके पूरा सीन सारंग के जेहन मे उतर आया था।

सफ़र संघर्ष का





हमारे कॅालेज का पच्चीसवां स्थापना दिवस है,यहाँ से बहुत सारे जीनियस बच्चे गये है,जिनहोने ना सिर्फ अपना बल्कि कॅालेज का भी। नाम रोशन किया है प्रियंका मैडम के इस भाषण के दौरान ही नवीन सारंग के पास आकर बोला था -यार सारंग कुछ भी कर,पर मेरा नाम स्पीच के लिए लिखवा दे।मैनें अपनी तीन गर्लफ्रेंस को बोला है कि देखना तुम लोग आज टीचर्स खुद मुझे स्पीच के लिए। बुलायेंगे।प्लीज कुछ भी कर बस मेरा नाम लिखवा दे।लेकिन तूने प्रैक्टिस वगैरह कुछ नहीं की हैं तो तू बोलेगा कैसे?? सारंग ने नवीन से पूछ लिया था।वो सब मैं देख लूंगा,तू भस नाम लिखा दे नवीन ने जवाब देते हुए कहा था।अब स्पीच शुरू होने में सिर्फ 10 मिनट बाकी है पता नही टीचर्स नाम लेंगे भी या नहीं सारंग ने थोड़े चिन्ता वाले स्वर में जवाब दिया था।सारंग तेरे मुंह से ये बात अच्छी नहीं लगती,तू किसी भी टीचर से रिक्वेस्ट करेगा तो वो मान लेंगे नवीन ने वापस जवाब दिया था।ठीक है मैं देखता हूँ ये कहते हुए सारंग गुप्ता सर के पास गया था।सारंग ने रिक्वेस्ट करके नवीन का नाम लिखवा। दिया था।ठीक है अब कोई गडबड मत करना सारंग ने चेतावनी वाले अंदाज में नवीन को समझाकर कहा था।टीचर्स की स्पीच के बाद स्टूडेंट को स्पीच के। लिए बुलाया गया था।सारंग को। टीचर्स ने ये कहकर सम्बोधित किया था कि अब अपने विचार रखने के आ रहे है कॅालेज के बेस्ट स्टूडेंट्स मे से एक सारंग।सारंग ने स्टेज पर आने के बाद बहुत ईमानदारी से स्पीच दी थी कि अपनी मेहनत के बलबूते वो एक ऐसा मुकाम हासिल करना चाहता है जहाँ उसे उसके नाम से जाना जाये,उसका सपना एक आइएएस अधिकारी बनना है।सारंग के भाषण को सबने बहुत गौर से सुना था और स्मृति बस मुस्कुराते हुए सारंग की तरफ देखती ही रह गयी थी। स्मृति ओर सारंग दोनों एक दूसरे को मन ही। मन मे पसंद करते थे ,लेकिन कभी कहा नहीं था एक-दूजे से। सारंग की नजर स्मृति की तरफ गयी थी,जो उसकी तरफ ही देख रही थी ।जैसे निगाहों से ही दोनों ने एक दूसरे से कुछ कह दिया था।स्मृति ने भी अपनी स्पीच मे बताया था कि उसे भी आईएएस अधिकारी ही बनना है।ये सुनकर सारंग चौंक गया था और मन ही मन सोचने। लगा था - हम दोनों के रास्ते एक है,मंजिल एक है,काश हम दोनों भी एक होते ।इसी ख्याल ने चेहरे को थोड़ा गम्भीर कर दिया था।नवीन और स्मृति दोनों एक बहुत अमीर परिवार से थे।सारंग पसंद करता था स्मृति को लेकिन उसकी हैसियत उसे हमेशा उसे स्मृति से छोटा बना देती थी,इसलिए कभी नही कहा था।स्मृति भी सारंग की गम्भीरता को पहचानती थी,अपनी स्पीच के बाद भी सारंग के बारे मे सोचती रही थी कि सारंग हमें एक राह पर जाना है एक मंजिल को पाना है काश तुम कह देते कि मेरे साथ चलो।तुम्हारी आँखों में जो है वो बातो में कभी नहीं होता,काश कि तुम्हारी आँखें भी झूठ बोल पाती मुझसे।स्मृति अपने ख्यालों मे खोयी थी कि इसी बीच नवीन का नाम एनाउंस हुआ,आधे से ज्यादा स्टूडेंट चौंक गए थे कि नवीन का नाम भी स्पीच के लिए रखा है।नवीन ने स्पीच की कोई तैयारी नहीं की थी,इसलिए उसने अपने ही अंदाज में स्पीच शुरू की -




हाय फ्रेंडस,इन्फेक्ट फ्रेंडस नहीं बॅायज एण्ड गर्लफ्रेंडस।नवीन की ये बात सुनते ही बच्चे चिल्ला उठे थे -ये................. टीचर्स का मूड खराब हो गया था ओर सारंग ने अफसोस से सिर पकड़ लिया था,स्मृति गुस्से से बडबडायी थी -ये नवीन कभी नहीं सुधरेगा।नवीन ने अपनी स्पीच को आगे बढ़ाते हुए कहा था जैसा कि प्रियंका मैम ने कहा,हमारे कॅालेज ने बहुत सारे जीनियस स्टूडेंट्स दिये लेकिन कुछ मेरे जैसे भी दिए होंगे,उनका नाम लेना भूल गयी होंगी।हाँ तो आज सभी ने बताया कि वो अपनी लाइफ मे क्या अचीवमेंट करना चाहते है।दो अचीवमेंट तो मुझे भी करनी है,मुझे अपनी लाइफ मे पति ओर पिता दोनों बनना है।ये सब सुनते ही स्टूडेंट जोर से चिल्लाने लगे थे -नवीन,नवीन .........
विजेन्द्र सर खड़ा होते हुए बोले थे इस बदतमीज को किसने भेजा स्टेज पर,जाओ यहाँ से नवीन की तरफ देखकर चीखते हुए कहा था।सारंग अपना सिर पकड़े बैठा था और स्मृति को नवीन पर बहुत गुस्सा आ रहा था।विजेन्द्र सर की बात सुनकर नवीन हँसते हुए बोला था सर आखिरी बात रह गयी और फिर जोर से चिल्लाकर बोला था -इस बार प्रेजीडेन्ट का चुनाव लड रहा हूँ।नवीन की हरकत से उसे कॅालेज से निकाल दिया गया था,लेकिन उसके पापा की अच्छी जान-पहचान होने के कारण दोबारा दाखिल कर लिया था।नवीन ने प्रेजीडेन्ट का चुनाव लड़ा था और वो विजयी हुआ था।




किसने सोचा था कि नवीन एक दिन इतना बड़ा आदमी बन जाएगा,इसी ख्याल से सारंग के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी और उसने मन ही मन कहा था मेरा दोस्त आज क्षेत्र का विधायक हैं।सारंग के इस ख्याल से उसकी अंर्तआत्मा ने पूछ लिया था -और तुम कहाँ हो?
जिन्दगी में एक असफल आदमी से ज्यादा कुछ नहीं सारंग के चेहरे की मुस्कान कहीं खो सी गयी थी ओर चेहरे पर एक टीस ओर असफलता का दर्द साफ-साफ झलक आया था।सारंग की आँखों में बैचेनी उभर आयी थी और उसे अजीब सा एहसास हो रहा था।कुछ ख्याल परेशान कर रहे थे कि कैसे मिलूंगा आज मैं नवीन से,वो इतना आगे चला गया और मैं चन्द कदम पीछे हट गया।उसके पास उसका नाम है और मैं उसके बराबर में खड़ा होने लायक भी नहीं।पिछले आठ सालों में कितना बदल गया होगा नवीन।ओर वहाँ कॅालेज के बाकी सभी दोस्त भी मिलेंगे,सब पूछेंगे कि पिछले इतने सालों में मैनें क्या अचीवमेंट की।
लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं होगा,क्या मुझे वहाँ जाना चाहिए।सारंग के मन पर निराशा और असफलता का खौफ कुछ इस कदर सवार हो गया था कि वो मन मन कहने लगा था -नहीं मुझे वहाँ नहीं जाना चाहिए।बल्कि यहाँ से बस पकडकर वापस चलना चाहिए।अपने अंदर चलती इस जंग को जीतते हुए उसके एक ख्याल ने उसे सान्त्वना थी।कि नवीन उसका बेस्ट फ्रेंड है उसकी शादी में तो उसे जाना ही चाहिए।




अपने ख्यालों में उलझते हुए सारंग उस शहर में आ गया था जहाँ नवीन रहता था,उसे अंदर से बहुत खुशी हो रही थी,कि आज वो अपने दोस्त से मिलेगा।पिछले 8 सालों में नवीन और सारंग की फोन पर तो बातें होती रहती थी,लेकिन एक दूसरे से मिले नहीं।सारंग ने आटो रिक्शा लेते हुए ड्राईवर से कहा कि वो नवीन चौधरी के घर पर छोड़ दे।कुछ ही देर में सारंग नवीन के घर के बाहर पहुंच गया था।
शहर के बीच में एक बहुत खूबसूरत बिल्डिंग जिसमें नवीन रहता था।इतने बड़े ओर आलीशान की तरफ बढ़ते हुए उसके कदम डगमगा रहे थे,लेकिन दोस्त से मिलने की खुशी उसे कुछ भी सोचने से रोक रही थी।
घर में अंदर घुसने के बाद सारंग को काफ़ी सारे लोग दिखाई दिए,लेकिन नवीन कहीं नहीं दिखा।तभी वाचमैन आकर सारंग से बोला -शादी का कार्ड दिखाइये।ये सुनते ही सारंग थोड़ा चौंक गया था,क्योंकि वो शादी का कार्ड लेकर ही नहीं आया था।उसके जेहन मे ये ख्याल ही नहीं रहा कि नवीन अब वीआईपी है और उसकी शादी में कार्ड से एंट्री होगी ।सारंग ने मना कर दिया था कि वो कार्ड लाना भूल गया है,लेकिन नवीन का दोस्त है।वाचमैन ने सारंग की बात मानने से इनकार कर दिया था.................Be continue in 3 part


जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-3)-Read More 

जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-4)-Read More



Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को....































जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी -पार्ट-1)

प्रत्येक वर्ष भारत में हजारों लाखों युवा सिविल सर्विसेज की तैयारी करते है,उनमें से कुछ जो सफल हो जाते हैं।उनको दुनिया जानती है,लेकिन उनमें से कुछ जो बहुत मेहनत करने के बाद भी किन्हीं वजहों से सफल नहीं हो पाते,वो क्या करते अपनी जिंदगी मे कोई उनके बारे में नहीं जानना चाहता।ऐसी ही एक कहानी को बयाँ करती ये कहानी जिन्दगी धूप तो नही -
सफ़र संघर्ष का




"जो सोचा था,वो हुआ नहीं।जो होना था वो सोचा नही।
अजीब इम्तिहान है जिन्दगी राहे चलते रहे ताउम्रओर आखिर में पता चला कि इस राह पर तो मेरी मंजिल नहीं।कुछ खेल यूँ खेलती रही जिन्दगी कि साथ कोई हमसफर नही ओर मुश्किलों ने हमेशा हमराही बनकर
साथ निभाया।किसी को तोड़ देते है कोई गैर,कोई टूट जाता है अपने अपनो के हाथों।मैं आज टूटा हूँ इस कदर कि खुद के सिवा कोई गुनाहगार भी नहीं।जाने क्यूँ पहुँच
गया हूँ आज उस राह पर जहाँ पीछे जाने का वक्त ना रहा और आगे की राह नहीं।

अपनी डायरी में ये कुछ पंक्तिया लिखने के बाद सारंग ने डायरी को मेज के दराज में रखा और फिर और फिर एक नज़र घडी की तरफ डाली| सुबह के छ बजे हुए थे|सारंग इस कमरे में रहता है ,जहाँ पिछले आठ सालो से उसकी जिन्दगी सिमटी हुयी है| इसी कमरे में  एक बड़ी सी अलमारी जिसमे तीन खानों में बहुत सारी किताबे रखी हुयी है |कमरे के बीच में एक मेज ओर दो कुर्सियां ओर दीवार के पास एक सिंगल बेड।दरवाजे की पास वाली दीवार के पास एक छोटा सा गैस ओर कुछ खाने पीने की चीजें ।बेड के पास की ही खूंटी पर सारंग के। दो -तीन जोड़ी पेन्ट शर्ट और उसके नीचे ही एक बक्सा जिस पर घड़ी रखी हुई थी,जो सुबह छ: का समय दिखा। रही थी।






आज की। सुबह कुछ ज्यादा ही बेरंग थी,यूँ तो पिछले दो महीनों से कोई भी सुबह अच्छी नहीं होती,लेकिन आज कुछ ज्यादा ही बेरंग थी जैसे सुबह ओर शाम में कोई फर्क ही ना रहा हो।आज सुबह सुबह दिल कर गया डायरी उठाकर उसमे कुछ लिखने का,वो भी जिन्दगी की हकीकत।आज सारंग के कॅालेज के दोस्त नवीन की शादी है,जिसमें उसे जाना है वो भी दूसरे शहर में।डायरी को दराज मे रखने के बाद सारंग कुर्सी से खडा हुआ ओर बक्से के पास पहुँचा।घड़ी उठाने के बाद बक्सा खोला।उसका मुरझाया हुआ चेहरा और भी मुरझा गया।






सारंग की उम्र लगभग 32 साल ,सिर पर एक दो सफ़ेद बाल आ चुके थे।पिछले 2-3 दिन से सेविंग भी नहीं की थी,जिससे चेहरे की रौनक कहीं गायब सी थी।बक्से मे सारंग के दो जोड़ी नयी पेन्ट शर्ट ओर कुछ जरूरी सामान था दोनो जोड़ी कपड़ों को बाहर निकाल कर देखा ओर चेहरे की रंगत पहले से भी फीकी पड गयी।जेहन मे कुछ पुरानी बातें घूमने लगाी-नवीन देख तुम्हारी शादी में मैं कोट पहनूँगा वो भी अपनी सैलरी से खरीदकर।यार मम्मी -पापा के पैसों से ज्यादा महंगे कपड़े खरीदने का दिल नही करता।मेरी पढाई का खर्च भी बड़ी मुश्किल से उठा पाते हैं।सारंग तुझे देखकर मुझे ऐसा लगता है कि आज के जमाने में भी राम जैसे बेटे मौजूद है।अरे भाई! ये तो अपनी खेलने खाने की उम्र है।अगर अभी इतना सोचेंगे तो आगे क्या होगा?तेरी ये नयी शर्ट देखकर तो मुझे हँसीं रही है यार,ऐसी शर्ट तो मैंने बचपन मे भी नहीं पहनी।बचपन से ही अपनी पसंद के कपड़े पहनता हूँ ओर तू मम्मी पापा की पसंद के।




सारंग एक पल के लिए चुप हो गया था और फिर गम्भीर स्वर से बोला था -मेरी इतनी हैसियत नहीं हैं नवीन ।
यार तू ऐसी बातें मत किया कर,ये कहते हुए नवीन ने सारंग को गले से लगा लिया था।नवीन ने शान्त स्वर में कहा था -हर बार इतना सीरियस मत हुआ कर यार,तू मेरा बेस्ट फ्रेंड है।ओर ये भी एक इत्तेफाक ही है कि तू कॅालेज का सबसे शरीफ स्टूडेंट ओर मैं सबसे शैतान,लेकिन फिर भी हम दोस्त है ओर एक दूसरे को बहुत करीब से जानते हैं।ये हैसियत वैसियत की बाते मत लाया कर बीच में।
अगले दिन नवीन सारंग के लिए एक सुन्दर और महंगी शर्ट लाया था और उसे सारंग के हाथ में थमाते हुए कहा था -ये लो तुम्हारा गिफ्ट।इसमें क्या है नवीन?सारंग ने वापस पूछ लिया था।अरे कुछ नहीं,इस बार तुम्हें बर्थ डे पर गिफ्ट नहीं दे पाया था,बस वही है खोलकर देखो।सारंग ने उसे खोलकर देखा तो उसमें एक बहुत अच्छी शर्ट थी।उसे देखने के बाद सारंग ने कहा -नही मैं इसे नहीं ले सकता,मेरे लिए वही मम्मी पापा की पसंद की शर्ट ही अच्छी है जिसे पहनकर मुझे गर्व होता है कि ये मेरे पापा की मेहनत की कमाई से खरीदी हुई है।


ये सब सुनने के बाद कुछ परो तक चुप रहने के बाद नवीन बोला था -सारंग मैं तुम पर कोई एहसान नहीं कर रहा यार,तू बीच में अपने सेल्फ रस्पेक्ट को मत लाया कर,मैं तुम्हारा दोस्त हूँ और तुम्हें बर्थ डे गिफ्ट दे रहा बस,इतना समझो ओर ले लो।
सारंग मना करता रहा,लेकिन नवीन ने उसे वो शर्ट जबरदस्ती दे दी थी।सारंग एक पल के लिए सन्न रह गया,इन सात साल पुरानी स्मृतियो ने उसके मन के साथ साथ उसकी आँखों को भी भीगा दिया था।उसके हाथों में नवीन की दी हुई वही शर्ट थी और आँखों में वक्त ओर हालातो के दिये हुए आँसू,जो टप-टप कर जमीन पर गिर गये थे।स्मृतियो के वसंत को पार करते हुए सारंग हकीकत की पतझड़ में पहुँच चुका था।आज उसे नवीन की शादी में जाना था,उसने आँसू पोंछते हुए वो शर्ट ओर पेन्ट उठायी ओर बक्से को बंद कर दिया।
तैयार होने के बाद सारंग बस पकड़ते हुए नवीन के शहर। की तरफ चल दिया था,खिड़की के। पास वाली सीट पर बैठे सारंग के चेहरे पर हवा के झोंके टकरा रहे थे और अतीत की यादों की एक एक परत खुलती जा रही थी ..................Be continue in 2 part



जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-2)-Read more

जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-3)-Read More 

जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-4)-Read More



Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ,जिनके नायक होंगें आप /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को...







































































































































तुम मेरी जिन्दगी की आवाज हो

"तुम्हारी खामोशी अब मुझे परेशान करने लगी है,
ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।"
ख़ामोशी का दर्द




कहाँ हो तुम,ऐसे तुम्हारा चुप रहना,अब बहुत परेशान कर देता है।
कहा था ना मैंने तुमसे,तुम्हारा साथ होना ही काफी है।
पर तुम जैसे कभी नहीं समझ पाओगे।
तुम्हारी वो मीठी सी मुस्कान जिसको देखने भर से
मेरी जिंदगी के सारे गम दूर हो जाते है।
कहाँ महसूस कर पायीं हूँ मैं उसे एक अरसे से।
तुम्हारे ना होने से बस यूँ लगता है -




"तुम साथ हो तो यूँ लगता है,कि ये
सारी खुदाई मेरे साथ है।
तुम ना हो तो फिर मैं ही कहाँ रह पाती हूँ
खुद के साथ।"







"जिन्दगी इतनी बड़ी भी नही ,
कि तुमको यूँ नाराज करके छोड़ दू।
क्या खबर ये फिर कभी मनाने का मौका
भी देगी या नहीं।"




वो मेरी और तुम्हारी आखिरी मुलाकात जिसमें
तुमने कहा था,,कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।
कभी कभी वो मेरी आँखों में आँसू ले आती है।
ये दिल कहता है कि तुम कभी झूठ नही बोलते,
तो फिर आज इतनी बेरूखी क्यों?




"तुमको झूठा कहने का हक तो इस दिल ने
मुझको भी नहीं दिया।
पर आज तुम्हारी सच्चाई इस बेरूखी के
आगे बेजुबान है।"




कभी कभी तुम्हारी खामोशी इतना परेशान
कर देती है,जैसे मैं गुनाहगार हूँ इसकी।
तुम आज मुझसे खफा हो।
मेरी ज़िन्दगी का सारा शोर तुम्हारी खामोशी
ने समेट लिया है।
अब तो यूँ लगता है,जैसे तुमसे मिलने के
बाद मैं भी मैं ना रही।तुम क्यों भूल गए हो
मैनें तुमसे कहा था ना-




"तुम तो तुम हो ही,मैं भी तो तुम हूँ
मैं भी तो तुम हूँ।
तुम ना हो तो,फिर मैं कहाँ,तुम ना हो
तो फिर मैं कहाँ??"




"काश एक सुबह ऐसी भी आये,
तेरे आने की खुशी मे ये आँखें आँसू गिराये।"




"काश लौटा दो तुम मुझे मेरी जिन्दगी के शब्द,
क्योंकि तुम्हारी खामोशी अब परेशान करती है,
ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।"




"ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।
ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।"


Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को.....  






वो ईश्वर और मैं

कितनी बार ऐसा लगता है कि ,
कदम अब थक चुके है।
हौसले कहीं बिखर चुके है,
कहाँ चल पायेंगे अब एक कदम भी ओर
जिन्दगी बोझिल सी हो चुकी है,
सपने टूटकर बिखर चुके है,
हम बेवजह की जिन्दगी जिये जा रहे है।
पर क्या रुक पाती है जिन्दगी,
एक क्षण भी तो नहीं तो नही ।
हम बिखरते है हर बार,पर फिर से कोई
सँवार देता है।
कौन है वो???????


बातें ईश्वर से




वो मुझमें है,वो तुझमें है।
वो हर जगह है,फिर भी कहाँ दिख पाता है।
लेकिन मेरी नजरें उसको हर बार पहचान लेती है-






"मेरे कदम थक हारकर जब बोझिल से
हो जाते है।
तो यकायक मैं तुम्हारी तरफ चल देती हूँ।
तुम हर मुश्किल में सम्भाल लेते हो,
तुम एक राह बंद करते हो,हजार रास्ते खोलते हो।
एक बड़ी सी मुश्किल को एक पल मे हल करते हों।
मेरी आँखों में जब आँसू हो,तब तुम सबसे करीब होते हो।
तुम वो शक्ति हो,जो मुझे कभी हारने
नहीं देती।
कितनी दफा यूँ लगता है,जिन्दगी से क्या पाया
है मैनें,
मेरी जिंदगी की पूंजी तुम पर आकर ठहर जाती है।


Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को.....






वो तुम्हारी और मेरी बाते

यू मेरी उंगलियों मे अपनी उंगलियों को फंसाकर तुमने
कसके हाथ थामा था।कितनी खूबसूरत थी वो सुबह
जब मैं और तुम यूँ ही बेवजह चल दिए थे राहो पर।
सूरज की रोशनी तुम्हारे चेहरे पर पड़ी थीं,और तुम
जैसे ओर भी खूबसूरत हो गये थे।
वो बेमतलब की तुम्हारी और मेरी बातें मुझे आज तक
याद है।
तुम्हारी वो निश्छल सी मुस्कान,जिसके सामने फूलों का
बिखरना भी कुछ नहीं है,आज तक मेरे जेहन में जिन्दा है।
ऐसा लगता है कभी कि तुम आज भी मुस्कुरा रहे हो।
तुम्हारी वो चन्द लाइनें जो तुमने मुझे चिढाने के लिए
बोली थी।
आज भी मेरे लिए वो इस दुनिया की सबसे खूबसूरत
शायरी है।
तुम्हारे चेहरे पर वो शरारती मुस्कान मेरे जेहन मे
आज फिर जैसे ताजा हो गयी हो।

मैं और तुम साथ-साथ



तुमने यू उदासीनता से कहा था -


"कभी सूरज कहती हो,तो कभी चान्द
सच कह दो आज कि मैं हूँ तुम्हारी मुस्कान।"


तुम्हारी शायरी के टूटे फूटे शब्द,मेरी जिंदगी की
सबसे हसीन शायरी थी।कुछ कहने के लिए दिल
मे ख्याल उमड आये थे।ऐसा लगा था जिन्दगी बस
यही इस पल में है।
तुम मेरी शायरी बन जुबान पर चले आये थे।



आज सुनो फिर कह देती हूँ -


"तुम सूरज हो जिन्दगी के,क्योंकि तुम्हारे होने
से ही ये जिन्दगी रोशन है।
ओर शाम होते ही तुम चान्द बनकर यादो मे चले
आते हो।
मेरे होठो की मुस्कान तो तुम्हारे दरमियान आके
सिमट जाती है।"


बारिश और तुम -Read more




मेरी बातों को सुनकर तुम मन ही मन मुस्कुरा
उठे थे,जैसे तुमको बस यही सुनना था मुझसे।
तुम्हारी वो झुठ-मुठ की उदासीनता जिसने मेरे
चेहरे की मुस्कान छीन ली थी,
मेरे होठो पर आज भी मुस्कान ले आती है।
कितने उदास बन रहे थे तुम उस दिन,ऐसा लगा
था जैसे तुम्हें उस दिन इस दुनिया की सारी शायरी
आ गयी थी,जैसे तुम मेरी जिंदगी के "गुलज़ार"
बन गये थे।तुमने मेरे हाथ को छोडते हुए चन्द कदम
आगे बढ गये थे।तुमने एक गम्भीर स्वर में कहा था-


"कभी चाँद कहा तुमने मुझे,
तो कभी हुआ यू भी
कि आसमान से गिरा दिया।"



ऐसा लगा था मुझे कि तुम्हारे मन में
ये कैसी बातें चल रही है,मेरी आँखों
में आँसू छलक आये थे,जैसे जिन्दगी
यही इस पल मे सिमट जाये।
कुछ बेपरवाह से ख्याल उमड आये थे
इस दिल में।
मैनें चँद कदम आगे बढ़ते हुए,तुम्हारी उंगलियों मे
अपनी उंगलियों को फसाकर तुम्हारे हाथ को कसकर
थामा था,जैसे मैं तुमको कभी नहीं खोना चाहती थी।
मेरे अंदर के अल्फाज जैसे शायरी बनकर ढल चुके थे।
मैनें तुम्हारी तरफ देखकर कहा था -




"एक अरसे से मैनें तुम्हें चाँद नहीं कहा है,
पर खामोश रहने से क्या सच्चाईयाँ बदल जाती है।"




"चाँद तो तुम आज भी हो मेरी जमीन के,
पर एक अरसे से कहाँ कह पायी हूँ।"


"कैसे गिरा सकती हूँ तुम्हें आसमान से,
दिन रात दुआएँ की है तुम्हें वहाँ तक पहुंचाने की।"




"कब चाहा है मैनें तुम्हें आसमान से गिराना,
बस चाहत इतनी सी की है कि मेरे साथ रहकर
मेरी जमीं को रोशन कर दो।"




"उस आसमान से नीचे तुम्हें सिर्फ इसलिए
लेकर  आयी हूँ ,क्योंकि उस आसमान
को नहीं।
बल्कि मुझे तुम्हारी जरूरत है,
मेरा चाँद बनकर आये हो तुम।"

कभी-कभी -Read more



"अगर गिराया भी तुम्हें उस आसमान से,
तो तकलीफ तो मुझे तुमसे भी ज्यादा होगी।"


मेरी शायरी को सुनकर तुमने मेरी हथेली को जैसे ओर
कसके थामा था,जैसे जिन्दगी के कुछ पल मेरे ओर तुम्हारे बीच बिखर उठे थे।वो सुबह बहुत खूबसूरत थी।
चँद पलो की खामोशी के बाद जैसे तुम कह उठे थे।
क्या अब मजाक करने का भी हक नहीं रहा।
तुम्हारे ये कुछ बिखरे से अल्फाज सुनकर मेरी साँस मे
साँस आयी थी।
मैनें तुम्हारे कंधे पर जोर से एक मुक्का मारा था।
और हम दोनों चल दिये थे अपनी राहो पर।




वो सुबह मुझे आज तलक याद है।
वो सुबह मुझे आज तलक याद है।


Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप  /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को....