Personal thoughts
"मैंने कितनी दफा बेनिंदो के रात गुजारी थी,कब सोचा था एक दिन मंजिल भी पास होगी और सपने भी पूरे होंगे।
कुछ कमी होगी तो बस अपनों की।"
हममें से 90% लोग बहुत ऊँचे ऊँचे सपने देखते हैं।कोई खाली सपने ही देखता है तो कोई उन सपनों को पूरा करने के लिए अपनी जिन्दगी के बेहद कीमती समय को परिश्रम के हवाले कर देता है।
मंजिलें हमारी तरफ बढने लगती है और हमारे अन्दर एक नयी ऊर्जा का जन्म होता है,जो हमे कभी हारने नहीं देती।
लेकिन सच है सपने जितने बड़े हो कुर्बानी भी उतनी ही बड़ी होती है।
"कभी मैं आगे निकल जाती हूं तो कभी मंजिलें पीछे रह जाती है।
अब चले थे हाथ थामकर एक दूजे का।
और आज पीछे पलटकर देखूँ तो इस बार अपनों को पीछे छोड़ आयी हूँ।"
श्री अब्दुल कलाम जी ने कहा था -सपने वो नहीं होते जो आप नींद में देखते हो।सपने वो होते है जो तुम्हें कभी सोने नहीं देते।
बहुत राते मैंने जागकर गुजारी थी,बहुत बार असफलताओं से अकेले में आँसू गिराये थे।
कभी जिन्दगी से डर लगने लगता था,तो कभी अपने आप से।
कभी हौसले बिखर जाते थे और कभी मैं सँवर जाया करती थी,लेकिन फिर भी कभी एक एहसास को पीछे नहीं हटने दिया,सपने जिंदा है तो मैं हूँ।
"कभी ठोकरों की परवाह की थी,कब आँसुओं को खुलेआम जताया था,कभी सबसे झूठ बोला तो कभी
खुद को ही बहलाया था।
सपने है तो मैं जिंदा हूँ,सपने है तो मैं जिंदा हूँ।
पर सच तो ये है जिसको कभी खुद को भी नहीं बताया था
अपने है तो मैं जिंदा हूँ।
अपने है तो मैं जिंदा हूँ।"
कभी कभी बहुत याद आता है वो सुबह पक्षियों को दाना खिलाना,अपने खाने से पहला निवाला उस छोटी चिड़ियाँ को खिलाना ......
उस राह से आगे बढ जाना जिसपर चलने से अक्सर मैं मना कर दिया करती थी।
यही तो होती है जिन्दगी,वो चीजें सबसे ज्यादा याद आती है जिनको अक्सर यूँ ही छोड़ दिया करते थे।
"कभी खुद को वक्त के हवाले छोड़ दिया तो कभी
वक्त खुद चला आया मुझे लेने के लिए।
सपनों की दुनिया उतनी हसीन भी नहीं,जितने कीमती वो पल हुआ करते थे,जब घंटों बेवजह की बातों पर हँस दिया करते थे।
अब जिम्मेदारियां बढने लगी है और दिल चाहता है कि काश वो बचपन फिर से लौट आता,जहाँ मंजिल पाने की जिद्द नही हुआ करती थी।"