ये शाम फिर से लौट गयी है

ये शाम फिर से लौट गयी है
Best sentimental Feelings


ये शाम फिर से लौट गयी है।


कभी कभी हम किसी का बहुत इंतजार करते है, कि वो शख्स आयेगा तो ये करेंगे, वो करेंगे। पर कई बार वैसा कुछ नहीं होता, जैसा हम सोचते है। उन्हीं पंक्तियों को बयान करती ये चंद लाइनें।




"ये शाम तो आज फिर से वैसे ही लौट गयी,जैसे रोज लौट जाया करती थी।
तुम आये तो थे,पर उस तरह नहीं जिस तरह से दिल ने तुम्हें पुकारा था।
ये अपनापन नहीं तुम्हारा जाम छलक रहा था,
ये तुम होकर भी तुम नहीं थे।
ये शाम आज फिर से तुम्हारे बिना खाली थी।
ये शाम आज फिर से तुम्हारे बिना ढल चुकी थी।"




"तेरा ना आना उतनी तकलीफ ना देता शायद,
तेरा आना तो आँखें छलकाकर चला गया।
ये शाम तेरे ना होने से सूनी होती तो कोई गम ना होता।
ये शाम तेरे होने से सूनी हो रही थी।
पल गुजर रहे थे तेरे ना होने से,
पर पल गुजारने बहुत मुश्किल थे तेरी मौजूदगी में।"




"ये शाम आज फिर से खाली हाथ लौट रही थी।
इंतजार के पल फिर से अगली शाम में ढल चुके थे।
अब इंतजार नहीं करना है किसी शाम का।
ये शाम यूँ ही ढल जायेगी, ये शाम बस यूँ ही ढल जायेगी।"




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कुछ ऐसे तुम मिले हो

कुछ ऐसे तुम मिले हो


Best Sentimental Feelings


"कुछ ऐसे तुम मिले हो,कि दुआएँ नहीं की थी।
फिर भी जिन्दगी में चले आए हो।
जैसे बारिश चली आती है बिन बुलाये ही।
जैसे ये शाम ढल जाती है बिन बताये ही।
जैसे कुछ पौधों पर कली खिल जाती है बिन एहसास हुए ही।
जैसे उम्मीदों का सवेरा फिर से लौट आया हो।जैसे जिन्दगी ने फिर से दस्तक दी हो।"


"कुछ एहसास अधूरे है।
कुछ ख्वाब अधूरे है।
कुछ जैसे कल फिर से चुपके से बिखरा हो।
कुछ फिर से अधूरा सा रह गया हो।
जैसे तुम भी तुम भी नहीं हो।
जैसे मैं भी मैं नहीं हूँ।
जैसे ये दिल तुम्हारा और मैं परायी हूँ।"




"जिन्दगी इतनी आसान कहाँ है?
कुछ ऐसे तुम मिले हों।
कि अपने भी नहीं हो और पराये भी ना रहे हो।
जैसे कोई सूरज फिर से निकल आया हो।
जैसे अधूरे ख्वाब फिर से पूरे होने वाले हो।
जैसे तुम तो तुम थे ही,
मैं भी बस तुम ही हूँ, मैं भी बस तुम ही हूँ।
कुछ ऐसे तुम मिले हों।
जैसे तुम ना हो तो फिर मैं कहाँ हूँ।
जैसे तुम तो तुम हो ही।
मैं भी बस तुम ही हूँ। मै भी बस तुम ही हूँ।
कुछ ऐसे तुम मिले हो।"




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इजाजत ही नहीं दी

इजाजत ही नहीं दी
Best sentimental Feelings


"मेरे कदम कैद से हो चुके है,
मेरी मुस्कानें कहीं खो सी गयी है।
ना तुम थे कहीं, ना तुम होंगे कहीं।
फिर भी जिन्दगी ने इजाजत नहीं दी है,
ये कहने की,कि तुम कहीं नहीं हो।"


"तुम यहीं कहीं हो, ना नजरों में होते हुए भी।
ये आँखें तुम्हें देखती है।
ये दिल तुम्हें महसूस करता है,
ये जिन्दगी तुम्हारे होने से खूबसूरत है।
पर भी इजाजत नहीं है मुझे तुम्हें अपना कहने की।"


"किसी कलम की स्याही से बिखरे हो मेरी जिन्दगी में,
कागज सा मेरा अस्तित्व, कहीं तुम्हारे रंग में रंग चुका है।
जिन्दगी कुछ भी तो नहीं है तुम्हारे बिना, मैं कुछ भी तो नहीं हूँ तुम्हारे बिना।
पर फिर भी इजाजत नहीं है कि तुम्हें देखने की ख्वाहिश दिल में लेकर जिंदा रहूँ।
मजबूरियों ने मेरी हर एक सांस को जकडा है।"


"मेरे हाथों की दुआएँ,सिर्फ तुम्हारी खुशी चाहती है।
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान मेरे सौ गमो को खोने वाली है,
पर फिर भी इजाजत नहीं है कि कभी तुम्हारी मुस्कान के लिए खुद को मिटा सकूँ।"




"मेरी हर एक सांस जो सिर्फ तुम्हारे होने से चलती रहती है।
मेरे अकेलेपन के वो लम्हे जो तुमसे जुदा मजबूरी से लगते है।
पर फिर भी इजाजत नहीं है मुझे कि तुमसे कह सकूँ,
ये जिन्दगी एक मजबूरी सी है तुम्हारे बिना।
मुझे इजाजत नहीं है।
मुझे इजाजत नहीं है।
मुझे इजाजत नहीं है।




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तुम्हारे कदमो धूल भी खफा हो गयी है

तुम्हारे कदमो धूल भी खफा हो गयी है

Best Sentimental feelings





जिन्दगी आज भी उन पलो में बिखरी सी है।
जब आखिरी बार तुम्हें मुस्कुराते हुए देखा था।
कुछ टूट रहा है अब तुम्हारे बिना,
शायद मैं या फिर कुछ एहसास।
तुम्हारी खामोशी की बेडियाँ मेरे अल्फाजो को जकडे हुए हैं।
मैं कहाँ आजाद हूँ,
मेरी रूह तुम्हारे पास किसी कोने में धूल से दबी पड़ी है।
मेरी परछाइयाँ मेरा साथ छोडने लगी है।
जैसे मैं, मैं नहीं हूँ।
तुम्हारे कदमों की धूल भी जैसे खफा हो गयी हो।
जैसे जिन्दगी रूठी हो जबसे तुम रूठे हो।
आँख नम हो जाती है अब बेमुददत की बातों पर।
तुम थे तो सब गम दूर हो जाया करते थे बेवजह ही।
अब तो जैसे कोई राह नजर नहीं आती है।
तुम तक पहुंचने वाली हर राह जैसे तुमने बंद कर दी हो।
पर शायद तुम भूल चुके हो, तुम्हारे घर के किसी कोने में धूल में कुछ पड़ा है।
उसको आजाद करना भूल गये हों तुम।

तुम्हारे होने यकीं हो गया

तुम्हारे होने  यकीं हो गया



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"आज यूँ लगता है कि जिन्दगी तुम्हें बयाँ करने में ही कहीं सिमट जायेगी।
और तुम फिर भी बाकी रह जाओगे।
जैसे ये आसमां भी कम हो, तुम्हें जताने के लिए।
कभी लगता है कि एक बूँद में समाये हो तुम।
तो कभी फूल की टहनी पर पाँच पंखुड़ियों में सिमट जाते हो।
मैं जहाँ तक नजर दौड़ाती हूँ,
हर तरफ सिर्फ तुमको ही पाती हूँ।
ये मेरा पागलपन है या तुम इस जमीन और आसमान की हर शै:  मे सिमटे हो।
तुम भ्रम नहीं हो मेरा, तुम हकीकत हो।
खुद को देखती हूँ तो तुम्हारे होने पर यकीन होता है।
क्योंकि ये जिस्म बस एक परछाईं से चल रहा है,
जिंदा रहने के लिए जो रूह है, वो तुम्हारे पास है।
कोई ऐसी शाम तो नहीं होती, जो तुमसे खाली हो।
पूर्णिमा के दिन तुम अपने पूरे रंग पर होते हो,तो अमावस में सन्नाटों के बीच तुमको सुन लेती हूँ।
तुमको देखती हूँ तो अपने होने पर मुझको यकीं होता है।जाने कितने जन्मो से ये रूह तुम्हारे पास पड़ी है।
अब तो यूँ लगता है कि तुमसे जुदा होने की ये नाकाम कोशिशें कभी पूरी नहीं हो पायेगी।
क्योंकि इस कायनात ने मेरे वजूद को कहीं तुममें मिटा दिया है।
अब गर अलग करना चाहा तो कुछ टूटकर बिखर जायेगा हमेशा के लिए।
जिसे कोई फिर चाहकर भी ना जोड़ पायेगा।
शायद मैं या वो परछाईं जो तुम्हारे बिना कुछ नहीं है।

ये बारिश लौट आती है

ये बारिश लौट आती है




Best Sentimental Feelings

ये सावन, ये बारिश लौट आती है एक बरष के बाद।
तुम कब लौटकर आओगे?
मेरी बारिश तो सिर्फ तुम हो।
अपनेपन के सूखे ने इस दिल को बंजर जमीन की तरह कर दिया।
यहाँ अब उम्मीदों के पौधे दम तोडने लगे है।
अश्को की नमी इनको संजोने में कम पड चुकी है।
प्यार नाम के बीज अपना अस्तित्व खोने लगे है।
ना जाने तुम कब लौटकर आओगे।
मेरे तो सावन और बारिश दोनों सिर्फ तुम थे। 
जाने क्यूँ खुदा खफा हुआ है इतना,
कि दुआएँ बेअसर हो चुकी है।
कभी कभी खुद पर विश्वास टूटने लगता है,
खुदा पत्थर का है या ये दिल झूठा है।
ये दिल गर झूठा है तो तुम भी इस दुनिया का एक भ्रम हो।
और भ्रम की दुनिया सिर्फ तकलीफ देती है।
पर ये कायनात कहती है कि तुम भ्रम नहीं हकीकत हो,
जो सदियों में कभी एकबार दोहराई जाती है।
हाँ तुम ही ये बारिश हो, जो हर वर्ष सावन को ले आती है।
आसमान से बूँदों में भी तुम बरसते हो और
हथेली पर इकट्ठा करने वाले ये हाथ भी तुम्हारे है।
ये मैं नहीं हूँ, ये बस तुम हो।
मैंने देखा है तुम्हें खुद के लिए अश्क गिराते।
मैंने देखा है तुम्हें खुद को डाँटते हुए।
हाँ मैंने देखा है तुम्हें खुद से खफा होते हुए।
तुम तो तुम थे ही, मैं भी अब तुम ही हूँ।
मैं भी बस तुम हूँ।
तुम ना हो तो फिर मैं कहाँ?
तुम ना हो तो मैं कहाँ हूँ।

बंधन टूट चुके है

 बंधन टूट चुके है





बंधन सिर्फ वहाँ टूटते है जहाँ द्वैत का भाव मिट जाता है।"
मुझे खबर है तुम ऊँचाईयों पर खड़े हो,
और ढलान मेरी तरफ है।
जो कुछ भी तुम्हारी तरफ से आयेगा,मुझे स्वीकृत है।
तुम्हारी ऊँचाईयाँ बढ रही है और मेरी गहराईयाँ।
अजीब इत्तेफाक है जिन्दगी का।
तुम सबसे करीब हो मेरे और ये दूरी भी हर दिन बढती ही जा रही है।
हर दिन तुम्हारा कद और ऊँचा बढते देखना चाहती हूँ,
मुझे परवाह नहीं है इन गहराईयों के बढ जाने की।
मुझे परवाह नहीं है ये दूरी ओर बढ जाने की।
क्योंकि मुझको खबर है कि ढलान मेरी तरफ है।
तुम्हारी तरफ से जो भी आयेगा, वो मुझमें ही समायेगा।
क्योंकि मुझको पता है कि गहराई और ऊँचाई में हमेशा एक खिंचाव होता है।
क्योंकि मुझको खबर है कि तुम तो तुम हो ही,
मैं भी बस तुम ही हूँ।
क्योंकि ये जहान जानता है कि हर चीज़ तुम्हें छूने के बाद मुझ तक पहुंचती है।
तुम्हारा दिया सबकुछ आज तक मेरे पास सुरक्षित है और हमेशा रहेगा।
ये आँसू भी तुम्हारे ये मुस्कान भी तुम्हारी।
मेरा क्या है मेरे पास, मैं खुद भी बस तुम्हारी।
ये द्वैत का भाव जाने कब का मिट चुका है।
अब अगर कुछ बाकी है तो वो हो बस तुम,
बस तुम, बस तुम  ओर कुछ भी नहीं।





कुछ कहना हैं तुमसे

कुछ कहना हैं तुमसे


Best heart touching feelings



कुछ कहना है तुमसे और तुमने इजाजत ही नहीं दी कुछ कहने की।


कहना

 भी आखिर क्या?


सबकुछ तो तुम्हें खबर है बिन कहें ही।
जब यूँ लगता है कि तुमसे जिन्दगी भर की बातें करनी है,
तब जिन्दगी खुद बेजुबाँ हो जाती है।
क्या कहूं,तुम्हें सबकुछ खबर है।
मुझे मुझसे बेहतर जानते हो तुम।
या फिर यूँ कि तुमसे जुदा कोई अल्फाज ही नहीं है।
जबसे खफा हुए हो, ये अल्फाज रूठे से है।
और वापस लौट आने की कोई खबर ही नहीं।
तुम्हारी खामोशी ने मुझे चुपचाप बातें करना सिखाया है।
अब यूँ लगता है कि सन्नाटों में भी मैं तुम्हें सुन लेती हूँ।
अब तुम्हारी आहट से तुम्हें पहचान लेती हूँ।
अब बस तुम्हारे होने का एहसास ही काफी है जिंदा रहने के लिए।
मैनें खुद को तुममें सिमटते हुए देखा है।
तुम तो तुम हो ही, मैं भी बस तुम ही हूँ।
मैं भी तो तुम हूँ
तुम ना हो तो फिर मैं कहाँ?




आपके दिल की आवाज़ | कहानियाँ और कवितायेँ जिनके नायक होंगे आप | कुछ एहसास जो छु ले दिल को 

हाथ खाली है

हाथ खाली है
Best Sentimental Feelings


"हाथ तो कल भी खाली थे,
हाथ तो आज भी खाली है।
बाकी कुछ है, तो इन हाथों में,
सिर्फ तुम्हारी दुआएँ और कुछ अश्को की बूँदें।"




"कौन कहता है कि कोई शख्स रंग की तरह नहीं चढता,
मैंने देखा खुद को तुम्हारे रंग में रंगते।
और ये रंग इतना गहरा है कि
जिस्म की परत उखडना चाहती है,
पर ये रंगत फीकी नहीं पडती।"


"देखो तुम आज फिर से अनजान से बने बैठे हो।
आज फिर दिल से इन आँखों में उतर आये हो।
तुमको इन आँसुओं में बरबाद नहीं करना चाहती
तुम बहुत कीमती हो कोहिनूर की तरह।
तुमको ये पलकें और आँखें सहेजकर रखना चाहती,
ये दिल तुम्हें कभी जमीन पर गिरते हुए नहीं देख सकता,
भले वो आँसू बनकर हो।"


"देखो एक अरसे से नहीं कहा मैंने,
तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान हो,
तुम्हारी जिन्दगी में सारे रंग हो,
तो मेरे दिल की आधी दुआएँ कुबूल हो जायेगी।"




"चलो आज फिर से जिन्दगी के उन पलो में लौट चलते है,
जब खुश रहने के बहाने नहीं तलाशने पडते थे।
जिन्दगी के बिखरे अल्फाज तुम्हें देखने भर से शायरी बन जाया करते थे।
जब मैंने तुमसे कहा था -
तुम तो तुम हो ही, मैं भी तो तुम हूँ।
मैं भी तो तुम हूँ। तुम। ना हो तो फिर मैं कहाँ?"




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तकलीफ

तकलीफ

Best Sentimental Feelings


तकलीफ तुम्हे खोने की नहीं होती,
तकलीफ तो तब होती है,
जब तुम अजनबियों  से  मुस्कुराकर बात करते हो | 
माना कि अब अपने नहीं हो,
पर बैगाने भी क्या ऐसे हुआ जाता है ?



तकलीफ इस बात से नहीं होती कि 
तुम अश्को में आंसू पोछने को साथ नहीं हो 
तकलीफ तो तब होती है,
जब तुम हर किसी से रोने की वजह पूछ जाते हो 


तकलीफ अब तुम्हारे न दिखने से नहीं होती,
तकलीफ तो तब होती है 
जब तुम देखकर भी 
अजनबी की तरह निकल जाते हो 



तकलीफ अब तुम्हारे साथ न होने से नहीं होती 
तकलीफ तो तब होती है ,
जब तुम साथ होकर भी 
बैगाने कहलाते हो 

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कुछ याद

कुछ याद


BEST ROMANTIC FEELINGS




"हर याद कहीं धुंधली सी पड गयी है।
वक्त की परत ने गुजरे हुए कल को ढक सा लिया है।
दूरियों की कालिख ने कुछ मुस्कुराते हुए लम्हे कहीं आगोश में ले लिए 
फिर भी दिल को सुकून है कि तुम मिले तो थे।
वक्त से कुछ माँगा था मैंने कभी तुम्हारे लिए।
तुम्हारी मुस्कान और खुशी।
अब हाथ दुआओं में उठना नहीं चाहते,
क्योंकि इनको आज भी आदत है सबसे पहले तुम्हारा नाम लेने की।
और तुम ये इजाजत मुझे कभी दे नहीं पाये।
काश जिन्दगी कविताओं जितनी आसान होती।
अब भी जब कभी दिल करता है,मैं कागज के पन्नों पर तुम्हें उकेर देती हूँ।
और तुम मेरी एक ओर नज्म में ढल जाते हो।
और मैं एक बार फिर से तुम्हें अपना कह देती हूँ।
तुमने मुझे एक शायर बनाया है, ये सिलसिला अब जाने कहाँ जाकर ठहरेगा।"
वो दोस्त पुराने नहीं आते,मैं यादों का किस्सा खोलूँ,तो कुछ दोस्त बहुत याद आते है।

कैद जिन्दगीयाँ

कैद जिन्दगीयाँ
Best Poems


"बंद कमरे की चारदीवारी में,आज कैद है कुछ जिन्दगीयाँ मोबाइल में।
कभी निकलकर देखो इस खुले आसमान के नीचे।
कुछ गम यूँ ही कहीं खो से जाते है।"


"आधुनिकता की इस दौड़ में आगे बढने की चाह में कहीं खुद को ही खो रहे है।
ना जाने कितने सवाल उभर आते है,
जब कभी इस खुले आसमान के नीचे गहरे सन्नाटे में अपने वजूद को तलाशते है।
ये जिन्दगी किस तरफ जा रही है?
खुद से कहीं दूर इस दुनिया का सबकुछ हासिल करने का भ्रम।
भ्रम की दुनिया सिर्फ उलझने पैदा करती है और एक खोखली खुशी।"


"अपने अपनों से कहीं दूर आज सोशल मीडिया पर लाखों अपने है।
पर आँसू जब पोंछने हो,तो कोई हाथ नहीं मिल पाता है आँसू पोंछने वाला।
हजार अपने होते हुए भी आज इन्सान अकेला है,ये कैसी दुनिया है?"




"बंद कमरों में आज कही कैद हो चुकी है ये जिन्दगी मोबाइल में।
कहाँ मिल पायेगी अब वो खुली हवा, जो अक्सर बाल बिखेर दिया करती थी।
हवा तो अब भी होती है पर वो एसी की हवा है,जिसमें सुकून से ज्यादा घुटन है।
बंद कमरों की चारदीवारी में हमने अपने वजूद को खोया है।
आज एक अरसे बाद खुले आसमान के नीचे आये तो ये वजूद फिर से सवाल करने लगा।






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कविता संग्रह

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ये दुनिया एक भ्रम सी है

ये दुनिया एक भ्रम सी है
Best sad shayri


"ये दुनिया एक भ्रम सी है,
कौन किसका अपना,कौन किसका पराया
ये किसी को कहाँ खबर सी है।
एक आँसू पोंछने वाला हजार आँसुओं की वजह है,
एक मुस्कान देने वाला हजारों मुस्कान छीन लेता है।
एक पल सम्भालने वाला हजार बार बिखेर देता है।"




"तुझको कहाँ खबर है ऐ-दिल,
कौन तेरा अपना है इस दुनिया की भीड़ में।
चला था तू अकेला शुरुआत में और
अन्त में भी तुझे अकेला ही रहना है,
क्योंकि ये दुनिया एक भ्रम सी है।
ये रिश्ते ये नाते दो पल के अपने है।
राहें तेरी आज भी अकेली है और कल भी अकेली होगी।
तू डरता क्यों है अकेला चलने में,
कोई तेरे साथ हो या न हो।
माँ की दुआएँ तेरा साँया बनकर चलेगी।"




तेरी ख्वाहिशें तेरी कमजोरी है,
कितनी दफा देखा है मैंने बिन ख्वाहिशों के खुश रहते।
किसी को कहाँ परवाह है यहाँ किसी की,
हर एक चेहरे में हजार चेहरे छुपे है
हर एक मुस्कान में हजार आँसू छिपे है।
हर एक दिल मजबूर है यहां,
क्योंकि ये दुनिया एक भ्रम की दुनिया है।
आँखें जो देख पाती है वो सच नहीं,
कान जो सुन पाते है वो सच नहीं।
ये दिल जो महसूस करता है वो सच नहीं,
क्योंकि ये दुनिया एक भ्रम की दुनिया है।




तू कहाँ किस राह पर बैठा है मेरे मालिक।
ये दुनिया तेरे आगे भ्रम पर चल रही है।
सच अगर कुछ है इस दुनिया में तो वो सिर्फ तू है।
लोग तुझको भी इस दुनिया का भ्रम कहते है।
पर मेरा दिल कहता है कि तू भ्रम नहीं है।
तू भ्रम नहीं है।
तू अगर भ्रम है तो भी भ्रम हूँ।
ये साँसे,ये जिन्दगी भी भ्रम है।
क्योंकि तुम तो तुम हो ही,मैं भी तो तुम हूँ।
मैं भी तो तुम हूँ।
मेरे खुदा तुम नहीं तो फिर मैं कहाँ?






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तेज ज्वर से चढते हो तुम

तेज ज्वर से चढते हो तुम


Best romantic feelings
Tej jwar se chadhte ho tum


"क्या कहूं तुमसे,क्या हो तुम?
इस दिल का सुकून ओर तकलीफ दोनों ही तो हो।
तुम्हारी इस जिन्दगी में होने की गर्माहट कभी इस रूह को मजबूर कर देती है मुस्कुराने को।
सच कहूं तो तुम तेज ज्वर के जैसे हो।
जिससे जितना कोशिश करें बाहर आने की,वो गर्माहट और बढती ही है।"




तुम्हारे इस जिन्दगी में होने की गर्माहट भी उस ज्वर जैसी ही है जिसपे ना दवा काम करती है और ना दुआ।
तुमसे जुदा होने की तरकीब तो खुद तुम भी नहीं जानते।
जैसे ये जिस्म सुकून पाता है उस गर्माहट में।
वैसे ही मैं भी तुम्हारे नजदीक होने से सुकून पाती हूँ।
हाँ ये अलग बात है कि तुम उस ज्वर की तरह तकलीफ बहुत देते हो।
वो ज्वर जिन्दगी से निकल नहीं पाता और तुम जिन्दगी में ठहर नहीं पाते।"






"कोई दवा कहाँ असर कर पाती है उस ज्वर में।
और तुम्हारा असर हो तो सबकुछ सिर्फ तुम्हारा होता है।
मैं चाँहू भी तो नहीं निकल पाती तुम्हारे असर से बाहर
सच कहूं तो तुम ओर वो ज्वर बस एक चीज़ में जुदा हो।
वो ज्वर आने के बाद तकलीफ देता है और तुम जाने के बाद।
मेरी ख्वाहिश होती है कि ये तुम्हारा ज्वर कभी ना उतरे इस जिन्दगी से।
पर कहाँ रह पाता है वो ठहरकर मेरे पास।
तुम बस एक ज्वर के जैसे आते हो इस जिन्दगी में।
और फिर ये जिन्दगी बस तलाशती रहती है तुम्हें।
ना दुआएँ काम करती ओर ना दवाएं।

एक छोटा सा वादा

एक छोटा सा वादा


Best heart touching feeling


"Ek chota Sa vada"


"ना हाथ थामा है तुम्हारा,और ना शायद कभी थाम पाऊंगी।
फिर भी तुमसे एक छोटा सा वादा करती हूँ,ये हाथ दुआओं में हमेशा तुम्हारे लिए उठेंगे।
ना साथ माँगा है कभी तुम्हारा और ना शायद कभी माँग पाऊंगी।
पर ये एक छोटा सा वादा है तुमसे,मैं हर पल हर राह में सांये की तरह साथ हूँ।"




"तुम्हारी मुस्कान मेरे चेहरे की भी मुस्कान सी बन चुकी है।
एक छोटा सा वादा तुम्हारी खुशी में मुस्कुराने का और तुम्हारे गमों में आँसू गिराने का।
मेरी मंजिलों तक तुम साथ हो या ना हो।
तुम्हारी मंजिलों तक साथ जाने का एक छोटा सा वादा करती हूँ।"






"तुम्हारे नाम से मुस्कुराने की जिद्द,तुम्हारे लिए इस दिल में अपनापन होते हुए भी आज तुमसे खामोश रह जाने का वादा करती हूँ।
प्यार नहीं है मुझे तुमसे,और शायद ना कभी हो सकेगा।
लो तुम्हारी मुस्कान के लिए आज ये बोल जाने का वादा करती हूँ।
तुम्हारी जिन्दगी में हमराही बहुत है तुम्हारे,
चलो आज मैं फिर से अजनबी हो जाने का वादा करती हूं।
कुछ पल मिले थे जिन्दगी से जो तुम्हारे संग के अपने से।
चलो आज उन पलों के सहारे ही जिन्दगी बीता जाने का वादा करती हूँ।"






"मत समझना कभी कि मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है।
परवाह होते हुए भी आज ना जताने का वादा करती हूँ।
अब तो यूँ लगता है कभी,कलम के साथ चित्रकारी में भी उतर आये हो तुम।
चलो आज तुम्हें इस दुनिया की हर कला में ढालने का वादा करती हूँ।
बस मत जाना कभी इन नजरों से दूर क्योंकि तुम्हारी हर एक चीज को बहुत गौर से निहारती हूँ मैं।
चलो आज तुम्हारी खुशी के लिए अपना सबकुछ खो जाने का वादा करती हूँ।"




"डर लगता है मुझे हर वादे के टूट जाने से,
पर अक्सर तुमसे दूर रहने का वादा टूट जाने की दुआँ करती हूँ।
चलो आज बस ये छोटा सा वादा करती हूँ।
जिन्दगी बाकी रही तो फिर से तुम्हें पाने की दुआएँ
और कुछ वादे टूट जाने की दुआएँ करूँगी।




"💕💕 Zla India -आपके दिल की आवाज,जुड़े रहिये कहानियों और कविताओं के साथ जिनके नायक होंगे आप।कुछ एहसास जो छू ले दिल को ........💕 💕

बैंगलोर शहर (मेरी नजर से)

बैंगलोर शहर (मेरी नजर से)


Personal thoughts


अब सिर्फ 46 दिन के लिए मैं इस शहर की मेहमान हूँ।बैंगलोर दुनिया के खूबसूरत शहरों में से एक,इसी शहर में मैं अपनी जिंदगी के 9 बेशकीमती महीने बिताने जा रही हूँ।इसी विषय पर लिखा ये एक छोटा सा लेख,बैंगलोर मेरी नजर से -


37 डिग्री तापमान को चीरते हुए जब दिल्ली से मेरी फ्लाइट निकलीं थी,तो मैंने अन्दाजा भी नहीं लगाया था,कि बादलों को चीरते हुए मैं एक ऐसी जगह जा रही हूँ,जहाँ गर्मी और उमस भरा ये मौसम भी इतना खूबसूरत हो सकता है।
आँखों में उदासी और चेहरे पर चिपके हुए आँसुओं के दाग,जिनको पूरे रास्ते भर भईया से छिपाती रही थी,कैसे रहूँगी वहाँ,घर से दूर पहली बार अकेले,बार-बार बस मम्मी का ख्याल दिल में आता और आँसुओं को आँखों में ही समेटने का एक मुश्किल काम जिसको भईया को पता चलने से पहले ही छिपाना,लेकिन मेरे चेहरे की उदासी नहीं छिपी थी उनसे,उनको वो सब मालूम था जिसे छिपाने के लिए मैं बहुत ऐफर्टस लगा रही थी।घर छोडने की तकलीफ तो थी,पर दिल में सुकून भी कि मैं अपने सपनों की तरफ कदम बढ़ा रही हूँ,कुछ अच्छा करने के लिए जिन्दगी की एक नयी यात्रा पर निकली हूँ।




जैसे ही फ्लाइट से उतरकर इस शहर में पहला कदम रखा,इस शहर की रूमानियत को महसूस किया,शाम की वो ठंडी शाम बारिश के छींटों से जो और ठंडी हो चुकी थी,उसने मुझे मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया।और मुझे लगा शायद ये शाम आज मेरे इंतजार में ओर ठंडी हुयी है,ठंड की वजह से मैं थोड़ा सा सिकुड़ गयी,ओर मुस्कुराती रही।लेकिन एकदम से दिल में एक ख्याल आया कल मैं इस शहर में अकेली होऊँगी।कोई अपना नहीं होगा साथ,इन्हीं ख्यालों के साथ मेरे कदम इस शहर की तरफ बढ गये।




आज इस शहर की तरफ देखूँ,तो यूँ लगता है इसने कितना सीखाया है मुझे।शायद वर्षों गुजार देतीं ये जिन्दगी इतना सीखने में।कभी कभी यूँ लगता है मैं वो सब भी देखती हूँ,जो सब नहीं देख पाते।एक शायर की नजर से ये शहर बहुत खूबसूरत है,नारियल के पेड़ जब हवा से लहराते है,तो किसी खामोश एहसास की आवाज मुझे सुनायी देती है,जैसे ये पेड़ कह रहे हो,कि कभी एक। रोज बैठकर हमें भी देखना कभी अल्फाजों से ज्यादा खामोशी बात करती है।
इस शहर की शान्ति देखकर मुझे यूँ लगता है,ये वही जगह है,जिसे मैंने वर्षों से ढूँढा है।
यहाँ की फीकी चाय में प्यार की मिठास को महसूस किया है।इस शहर ने मुझे सीखाया कि प्यार और अपनेपन की कोई भाषा नहीं होती।


घर से दूर अपनों से अलग एक अजनबी शहर को मैंने अपना बनते देखा है।कभी बाल्कनी में बैठकर उस ठंडी और सुकून भरी हवा को महसूस करना,यूँ लगता है कि ये हवा उस हवा से जुदा नहीं है जो मम्मी को छूकर गुजरती होगी।ये आसमान ओर इस पर चमकने वाला चाँद सबकुछ सिर्फ अपने ही है।
ये भारत भूमि यहाँ भी वही है,वहाँ भी वही है।सच कहूं तो इस शहर ने सीखाया है कि मैं सिर्फ एक भारतीय हूँ।उत्तर -भारत,दक्षिण भारत सिर्फ हमारी संकीर्णता को दिखाती है।
ये शहर अब अपना सा लगता है,यहाँ के लोग अपने से लगते है।यहाँ का खानपान,साफ-सफाई जो मेरे से थोड़ा जुदा है,लेकिन फिर भी इसने मुझे एक चीज़ सीखायी कि बाहरी स्वच्छता से ज्यादा आंतरिक स्वच्छता मायने रखती है,जो कि मैं हर एक व्यक्ति के अंदर महसूस करती हूँ।




यहाँ की वो फीकी चाय और नमकीन पानी जिसने जिन्दगी के नये मायने सिखाये।इस चाय की हर एक सिप के साथ मैंने ये महसूस किया है कि जिन्दगी में हमेशा हर चीज़ मीठी नहीं हो सकती,जिन्दगी के तजुरबे हमें सिखाते है,और इस नमकीन पानी में मैंने अपने काले बाल खोये,लेकिन फिर भी इसने मुझे बस इतना सिखाया कि अपना कुछ खोकर भी हमें मुस्कुराना नहीं छोडना चाहिए।




कैनोपी दोस्तों के साथ बीते जिन्दगी के ये 7 महीने कभी पता ही नहीं चले कि साथ चलते चलते यहाँ तक चले आयेंगे एक दिन।अब यूँ लगता है कि इस शहर में हम सब दोस्त सिर्फ 46 दिन के मेहमान है।मुसाफिर की तरह एक दिन सब निकल जायेंगे अपने जुदा रास्तों पर,लेकिन फिर भी कुछ साथ होगा तो साथ बिताया ये पल।कैमरे में कैद वो यादें और वो अपना पन जिसने इस अजनबी शहर को कभी अजनबी नहीं रहने दिया।इस शायर की नजर से हमेशा ही दोस्ती एक सबसे खूबसूरत रिश्ता है और कैनोपी ने महसूस भी कराया।




इस शहर को कभी बड़े गौर से देखूँ तो ये लगता है,शायद ये शहर भी मेरा इंतजार कर रहा था,यहाँ की ठंडी हवा में अब अपनापन लगता है,कि ये ठंडक और सुकून शायद किसी अजनबी शहर में कभी नहीं मिलेगा।


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आत्मा के पथ पर तुम

आत्मा के पथ पर तुम
Best Heart touching poem


"जिस्म की परत से कहीं दूर,आत्मा के पथ पर प्रेम की मंजिल लिए जब मैं निकलती हूँ।
तब तुम साथ नहीं होते हो,फिर भी हाथ थामें किसी हमराही की तरह साथ चलते हो।"




"बन्द आँखों के घनघोर अंधेरो में,तुम अंतर्मन की रोशनी जलाए हुए,किसी दीप के जैसे जलते हो।
मैं अकेलेपन के सन्नाटे में,दुनिया से कहीं कोसों दूर
इस जिस्म की बंदिशों से कहीं कोसों दूर अपनी आँखों में तुम्हारी आँखें महसूस करती हूँ,
अपने होठों में तुम्हारे होंठ महसूस करती हूँ।
आत्मा के इस पथ पर जब मंजिल की तरफ जाती हूं,तो
तुम हाथ थाम साथ चले थे,और वापस जब लौटती हूँ
तो तुम्हें अपने आपमें लिए अकेली।
तुम घुल जाते हो मुझमें कहीं,तुम्हारे हाथों को अपने हाथों में महसूस करती हूँ।"




"प्रेम की इस मंजिल को तलाशते हुए,रूह के इस पथ पर
तुम्हें ढूंढते हुए कुछ दूर तक जाती हूं
और तुमसे खुद में मिलने के बाद फिर वापस लौट आती हूँ।
अधूरा कहाँ रह पाता है कुछ कभी।
सबकुछ तो पूर्ण होता है इस आँखों के घनघोर अँधेरे में।
तुम्हारी आँखें देखते देखते मुझमें समा जाती है,
ना अल्फाजो की बंदिशें होती है,ना जिस्म की ख्वाहिशें।
होती है तो बस एक तंद्रा,जहाँ पूर्ण होती हूँ मैं,
जहाँ पूर्ण होता है ये जहाँ।
बस अधूरा कुछ होता है तो इस जिस्म में फिर से लौट आने की मजबूरी।
तुममें एक होकर भी तुमसे अलग होने की मजबूरी।
आत्मा के उस पथ से वापस जिस्म की परत में लौट आने। की मजबूरी।




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तब यूँ लगता है तुम एक दीप जैसे हो।

तब यूँ लगता है तुम एक दीप जैसे हो।


Best heart touching feelings


"जब यूँ लगता है कि जिन्दगी अल्फाज छीनने लगीं है,
तब यूँ लगता है कि पेन और पेपर आज भी मेरे है।
लिख सकती हूँ मैं तुम्हें आज भी इन पन्नों पर,
तुम कहीं साथ हो या ना हो,
पर इन अल्फाजो में हमेशा मैं और तुम कहीं साथ होते है।
ये एक वो जगह है जहाँ ना वक्त की बंदिशें है और ना हालातों की मजबूरी,
ना तुम चुप होने के लिए कह पाते हो और ना मैं तुम्हें सुनने के लिए।
यहाँ तुम भी मुझे समझते हो और मैं भी तुम्हें।
यहाँ तुम्हारी मुस्कान के लिए मैं आज भी तैयार हूँ अपनी जिंदगी का सबकुछ लुटाने को,
और तुमको भी ये सब देखकर अच्छा लगता है।
ये अपनी एक दुनिया है,जो मौजूद है कही उन अल्फाजो में,जिनको मैं ना कभी कह पाती हूँ।
जिनको ना तुम कभी सुन पाते हो,पर फिर भी तुमको सब खबर है उन अनकहे अल्फाजों की,
जिनको ये जिन्दगी अक्सर छीन लेती है,
जिनको बस कागज के ये पन्ने अपनाते है।"






"जब यूँ लगता है तुमको समझाना बहुत मुश्किल है।
तब यूँ लगता है कि खुद को समझाना उतना भी मुश्किल नहीं।
जब खामोशी घुली होती है हम दोनों के बीच,और तुमसे कुछ कहना भी हो।
पर तुम चाहकर भी समझना नहीं चाहते,
तब ये दिल अक्सर कह देता है,तुम्हारी खुशी और मुस्कान ही मेरी मुस्कान है।
मुझे तुम्हें हर बार समझना है,क्योंकि तुम्हारी जिन्दगी को आसान नहीं बना सकती मैं,तो मुश्किल भी नहीं बनाना है।"




"जब यूँ लगता है कि इस अनजान शहर में मैं हजारों अजनबियों की भीड़ में अकेली सी हूँ।
तब फिर यूँ लगता है कि अजनबियों की इस दुनिया में कोई अपना भी है कहीं।
वो कदम से कदम मिलाकर भले साथ ना चलता हो,
पर फिर भी मेरे हर कदम में उसका हौसला कहीं मौजूद होता है।
उसकी हिम्मतें मुझे कभी हारने नहीं देती।
और मैं इस जिन्दगी में आगे चलती रहती हूँ,ठोकरों की बिन परवाह किये।"






"जब यूँ लगता है जिन्दगी के अंधेरे मुझे डराने लगे है।
तब यूँ लगता है कि तुम इस जिन्दगी में एक दीप जैसे हो।
मेरी जिंदगी की सारी काली परछाइयाँ जो बहुत डराती है मुझे,
तुम करीब हो तो अंधेरो का हर सांया मिट जाता है जिन्दगी से।
खुदा की एक लौ के जैसे,जिसको मन में प्रज्वलित होते देखा है मैंने।
जिसकी रोशनी अंदर के सब अंधकार मिटा देती है।
जिसके करीब होने भर से ये जिन्दगी दीवाली जैसी उज्ज्वल हो जाती है।
जो एक होकर भी हजारों को रोशन करता है।
जिसका तेज नाउम्मीदी के घनघोर अंधेरो को एक पल में मिटा देता है।
जिसके साथ होने भर से मैं हर अंधेरे को पार कर सकती हूँ।"






"जब यूँ लगता है कि ये साथ कहीं पीछे छूट रहा है,
तब यूँ लगता है फिर मैं आज भी तुम्हारे साथ हूँ और हमेशा ही रहूँगी।
तुम्हें बहुत आगे जाना है इस जिन्दगी में,इसलिए पीछे की राहों पर तो साथ नहीं रोक सकती हूँ।
मैं चलूंगी तुम्हारी हर एक राह पर तुम्हारे साथ,
तुम्हारी हमराही ना सही अजनबी बनकर ही।
ताकि जब कभी तुम अकेले हो,जब तुम्हें किसी की जरूरत हो।
मैं हाथ थाम सकूँ तुम्हारा,और कभी कहीं अकेले ना हो।"






"जब यूँ लगता है कि काश कभी ख्याल रख पाती तुम्हारा।
तब यूँ लगता है तुम्हारी जिन्दगी से दूर रहना ही तुम्हारी सबसे बड़ी खुशी है।
इससे ज्यादा ओर क्या कर सकती हूँ तुम्हारे लिए।
तुम्हारी खुशी को जीना ही मेरी जिन्दगी का वो पल है,
जिसमें तुम्हारे लिए कुछ कर पाऊंगी।
तुम्हारी हर बात को मान लेना,
तुम्हारे हर सच को चुपचाप सुन लेना,
तुम्हारे लिए खामोशी से दुआएँ करना।
बस यही तो है तुम्हारा ख्याल रखना।
जिसको मैं आज भी कर रही हूँ।"




"जब यूँ लगता है कि मैं किसके लिए जिंदा हूँ।
कौन समझता है मुझे यहाँ?
कौन अपना कहता है?
तब यूँ लगता है कि शायद कोई तो दुनिया होगी,
जहाँ कहीं तुम कहते होंगे मुझे अपना।
कहीं वो जमीं भी होगी,जहाँ मैं कहती हूँगी,
बस मैं तुम्हारे लिए ही जिंदा  हूँ।"




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यूँ ही राह चलते चलते -पार्ट 2

यूँ ही राह चलते चलते -पार्ट 2


Best Humanity Poetry


पिछले वर्ष यूँ ही राह चलते चलते कुछ लाइनें लिख दी थी,उन्हीं को आगे बढ़ाते हुए,कुछ नये ख्याल -




"शायर निदा फाजली ने कहा था -
मस्जिद से घर बहुत दूर है यारों,
क्यूँ ना किसी रोते बच्चे को हँसाया जाए।"




"कभी यूँ ही राह चलते चलते,
तुम किसी के चेहरे की मुस्कान बन जाते हो।
वो हाथ जो तुमने आगे बढाया था मुश्किलों में थामने के लिए,
वो आज भी कभी याद आ जाता है यूँ। ही राह चलते चलते।"




"कभी किसी राह पर जब मेरे कदम कहीं ठिठक से जाते है।
तो यूँ लगता है,कहीं किसी राह पर वो शख्स काश आज भी साथ होता जो यूँ ही राह चलते चलते मिल गया था।
यूँ ही खुदा की मेहरबानी हो जाती मुझपे और
बेवजह ही सही जिन्दगी बस कुछ राहें मेरे हिस्से में लिख देती उसके साथ चलने की।"






"यूँ ही राह चलते चलते जो मुस्कुराना सीखा गया था।
उसकी मुस्कान के लिए मैं भी कभी दुआएँ कर पाती खुदा से।
काश कह पाती मैं ये कभी -
"तुम्हारे होठो पर मुस्कान हो,तुम्हारी जिन्दगी में सारे रंग हो,तो मेरे दिल की आधी दुआएं कुबूल हो जायेगी।"




"यूँ ही जो वो अजनबी सा मिल गया था।
काश!कह पाती कभी,इस जिन्दगी में तुम दुआओं जैसे हो।
खुदा को कहाँ देख पायी हूँ कभी,पर मेरे लिए तुम खुदा के जैसे हो।
वो खुदा अक्सर यूँ ही राह चलते चलते ठोकरें लगाकर गिरा देता है कभी और फिर खुद ही चला आता है उठाने के लिए भी।"






"यूँ ही राह चलते चलते जिन राहों पर तुमने उम्मीदों के फूल बिखेरे थे।
जिन राहों से सब कांटे चुन लिये थे।
जिन राहों पर मुझे जिन्दगी के मायने सीखाये थे।
वो राहें आज भी तुम्हारी राहें देखती है,वो राहें आज भी सूनी सी है तुम्हारे बिना।




"यूँ ही राह चलते चलते तुमने कहा था -
मैंने जिन्दगी जीना सीखा है खुद से।
और कभी किसी अजनबी की तरफ अपनेपन का हाथ बढ़ा,दूजो को सीखा देता हूँ।"




"यूँ ही राह चलते चलते,बस यूँ
ही राह चलते चलते,दूजो की जिन्दगी में दीप सा जल जाता हूँ।"




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क्या बिना देखे,बिना जाने प्यार हो सकता है??

क्या बिना देखे,बिना जाने प्यार हो सकता है??
Personal thoughts
ये मेरे पर्सनल विचार है,जिनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है।




"एक सवाल जो अक्सर हम सबके जेहन में आ जाता है,क्या बिन देखे,बिन मिलेऔर बिना बात किये हमें किसी से प्यार हो सकता है?? मैं फेसबुक लव की बात नहीं कर रही हूँ,जो अक्सर हर 15 दिन में बदलता रहता है।प्यार यानी वो भाव जो आपको हमेशा किसी के लिए कुछ अच्छा सोचने और करने के लिए मजबूर कर सकता है।






इसी सवाल का जबाव,मैंने लिखने की कोशिश की अपने जीवन के कुछ अनुभव से।जो हो सकता है 100% सत्य ना भी हो पर सत्य का एक पार्ट जरूर है।जिन लोगों ने अपने जीवन में कभी ध्यानयोग किया है,वो इसे 100% सत्य मानने वाले है।


तो सबसे पहले मैं अपनी बात की शुरुआत यहीं से करती हूँ।जब कभी आप अपनी जिंदगी में बहुत दुखी होते है या अपने आपको अकेला महसूस करते है,तो आपका विश्वास बढ जाता है भगवान की तरफ।और ऐसी स्थिति में अगर आप ध्यानयोग शुरू कर दे,तो ये विश्वास और भी गहरा और मजबूत हो जाता है।


अब आप सोच रहे होंगे कि ये प्यार के बीच ध्यानयोग कहाँ से आ गया?तो मैं बता दूँ कि ये जीवन का एक शाश्वत अनुभव है,जिसमें प्यार और ध्यान का एक सत्य जो जीवन को कभी बहुत आसान बनाता है तो कभी बहुत मुश्किल।तो अपनी बात को जारी रखते हुए मैं आगे बढती हूँ।
अगर आपने अपने जीवन में कभी ध्यानयोग किया है तो आपके लिए इस आर्टिकल को समझना बहुत आसान है और अगर नहीं भी किया है तो कोई बात नहीं मेरा उद्देश्य आप तक उसी बात को पहुंचाना है।इस आर्टिकल को पढने के बाद आप जरूर सहमत होंगे मेरी बात से।
तो बात ध्यानयोग से शुरू हुयी थी,ध्यान की एक प्रक्रिया होती है,जिसे हर कोई अपने तरीके से अनुभव करता है।
मैं जिस प्रक्रिया के बारे में जानती हूँ,फिलहाल उसी के बारे में बात करूँगी।जैसा कि मैंने बोला जब आप किसी बात से दुखी हो और कोई आपको ध्यान के बारे में सुझाव दे।आपकी जिन्दगी का वो पहला अनुभव हो,उसके बाद आपको इतना अच्छा लगे कि आप उससे हर रोज जुड जाये और एक लम्बा अनुभव आपके ध्यान का हो चुका हो।
सामान्यतः ध्यान में क्या होता है,जब आप ध्यान करते है बस अपने श्वास पर पूरा फोकस करते है और बस ये सोचते है कि ये शरीर,ये मन,कर्म,वचन सब तुम्हारे है।मैं इस दुनिया में होकर भी नहीं हूँ।मैं सिर्फ तुम्हारा एक छोटा सा हिस्सा हूँ।ये सब बातें ध्यान के दौरान परमात्मा से आप बोलते हो।हो सकता है आपने कभी ध्यान ना किया हो,इसलिए ये सब बातें अजीब लग सकती है।पर ये सब सत्य है,जब आपका माइंड पूरा फोकस करता है उस समय ध्यान अपनी बेस्ट स्टेज पर होता है उस व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है जैसे वो जन्नत में हो।परमात्मा से उसका इतना गहरा प्रेम होता है उस समय कि उस स्थिति में प्राण भी निकल जाये तो कोई गम नहीं।


ये तो रही ध्यान की बात लेकिन ये हमारे जीवन में प्रेम को कैसे प्रभावित करता है अब इसकी बात करते है।
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ,जब इन्सान का ईश्वर की तरफ समर्पण बढता है,तो उसे अपने जीवन के सब रिश्ते ईश्वर में नजर आने लगते है।माता-पिता,भाई-बहन और यहाँ तक कि परमात्मा को अपना प्रेमी/प्रेमिका भी महसूस करने लगता है।और यही बात उसके जीवन में आगे होने वाली घटनाओं को प्रभावित करने लगती है,लेकिन कैसे इसके बारे में विस्तार से बात करते है।




हमारे जीवन में हमारे माता -पिता,भाई-बहन सब साथ होते है,इसलिए परमात्मा से जुडकर भी हमारे ये रिश्ते भौतिक रूप से हमारी जिन्दगी में मौजूद होते है लेकिन प्रेमी -प्रेमिका वाला हिस्सा खाली होता है और एक दिन यही खालीपन आपके जीवन को कुछ ऐसे प्रभावित करता है जैसे आपने कभी कल्पना भी नहीं की हो।




वैसे आम जिन्दगी में ऐसी घटनाएं नहीं होती है,क्योंकि हमारा यूथ ध्यानयोग नहीं करता,और जो करते भी है वहाँ उतना गहरा रिश्ता नहीं बन पाता परमात्मा के साथ,क्योंकि ध्यान एक जटिल और मुश्किल प्रक्रिया है।
लेकिन फिर भी हजारों -लाखों लोगों में से किसी एक के साथ ये होता है और ये सब सत्य है जो आगे मैं बताने जा रही हूँ।


जब आप एक लम्बे समय से परमात्मा से जुड़े हुए हो,तो आपके अन्दर हमेशा एक भाव रहता है,कि जीवन में कितना भी मुश्किल दौर आये,कितनी भी जटिलताएं हो,वो ईश्वर आपके साथ है हमेशा,वो आपको समझता है,आपको सबसे करीब से जानता है...........




आपका जीवन यूँ ही शान्ति से गुजर रहा होता है और आपको अन्दाजा भी नहीं होता कि कुछ बदलने वाला है,लेकिन सच कहूं तो बदलता है और इतना बदलता है कि जिसका आप अन्दाजा नहीं लगा सकते।
आप अपने जीवन में हजारों लोगों से मिलते है,कुछ उनमें से बहुत अच्छे भी होते है,उनमें से बहुत सारे अपोजिट जेंडर भी होते है,लेकिन अगर आप एक योगी है और आपको कभी किसी से प्रेम नहीं हुआ तो हो सकता है शायद आपके लिए वो आप ही की तरह सामान्य इन्सान रहे हो,लेकिन एक योगी या ध्यानी के लिए प्रेम का अर्थ कुछ और होता है,वो क्या है?और ये जीवन से कैसे जुड़ा हुआ है,अब यहाँ ये सवाल उभर कर आता है।






कई बार ऐसा होता है कि आप किसी वजह से बहुत परेशान हो,या खुद को असहाय महसूस कर रहे हो,लेकिन आपको पूरा विश्वास होता है कि परमात्मा जरूर आपकी मदद करेगा।कहीं ना कहीं से किसी ना किसी रूप में वो आपके साथ है।कई दफा आपने भी अपनी जिंदगी में महसूस किया होगा कि अचानक से कोई अजनबी सिर्फ आपकी मदद करने के लिए जीवन में आता है।जिसको आपने देखा ना हो,जिसको आपने पहले कभी जाना ना हो,जिससे कभी बात ना की हो,दूसरी भाषा में कहूं तो मैं और आप जिसे वर्चुअल वर्ड कहते है।आपके लिए वो इन्सान नहीं,आप उसके अन्दर अपने परमात्मा को देखते है,आपको कोई मतलब नहीं होता उस इन्सान से,आपको सिर्फ ये पता होता है कि आपका ईश्वर आपकी मदद करने आया।और दूसरी बात वो इन्सान आपके सामने मौजूद नहीं होता,इसलिए सरासर यूँ लगता है कि वो परमात्मा का एक हिस्सा है,वो वही है जिससे आप हर रोज बात करते है।


कई बार ये अपनापन बहुत गहरा हो जाता है,वो व्यक्ति कोई भी हो सकता है समान जेंडर या अपोजिट जेंडर का।अगर समान लिंग का हो तो शायद आगे जीवन उतना नहीं बदलता लेकिन अगर अपोजिट जेंडर हो तो शायद यहीं से प्रेम का वो प्रथम भाव आपके अंदर उभरने लगता है।आप उस व्यक्ति के विचारों को धीरे -धीरे जानने लगते हो,और अगर वो सब आपके विचारों से मेल खाते हो,तो आपको धीरे धीरे यूँ लगने लगता है,ये वही इन्सान है जिससे आप हर रोज बात करते हो,अपनी ध्यान मुद्रा में।आपके अंदर का वो परमात्मा जिसे आप अपना प्रेमी /प्रेमिका समझते हो,वो जीवन में आपको शाश्वत नजर आने लगता है।आपके अंदर का आंतरिक प्रेम बाहरी प्रेम में ढलने लगता है,या यूँ कहूं कि आपका आध्यात्मिक प्रेम इस संसार में जीवंत होने लगता है।
और इसका सबसे मुख्य कारण ये है कि आप उस इन्सान को छू नहीं सकते,देख नहीं सकते बस महसूस करते हो,यही वो बात है जो इसे आपके अंदर के उस प्रेम से लिंक करती है जिसमें आप सिर्फ महसूस कर सकते हैं,परमात्मा जो आपके ध्यान में हमेशा होता है,जिसके साथ होने पर आपको हमेशा विश्वास होता है।वही सब आप उस इन्सान के लिए महसूस करने लगते हो।
लेकिन क्या ऐसे प्रेम इस धरती पर मौजूद है??
एक सवाल जो अभी आपके जेहन में आ रहा होगा।
मेरा आर्टिकल आपको बिल्कुल कोरी कल्पना लग रहा होगा,हो सकता है आपके लिए ये एक कहानी जैसा हो।
इस पृथ्वी पर मौजूद हर कहानी में एक सत्य मौजूद होता है।और ये एक यथार्थ सत्य है,अगर आपके लिए ये 100% सत्य नहीं है,तो सत्य का एक पार्ट जरूर है।




पर क्या ऐसे प्यार सफल हो पाते है?और सामने वाला ऐसे प्यार के बारे में क्या सोचता है?अब आपके जेहन में ऐसे कई सवाल आ रहे होंगे।तो आगे अब इसी विषय पर चर्चा करते है कि क्या ऐसे प्यार सफल होते है या नहीं?और सामने वाला ऐसे प्रेम को स्वीकार कर पाता है या नहीं?




जब आपको इस तरह का प्रेम होता है,तो सबसे पहले आपका द्वैत का भाव मिट जाता है,आप अपने आप को उस इन्सान से इतना जोड़ लेते हो कि आप अपने आप को उसका एक हिस्सा समझने लगते हो,आपके ध्यान वाला वो शख्स जिससे आप हर रोज बात करते हो,और ये शख्स दोनों एक हो चुके होते है।आपको यूँ महसूस होने लगता है,कि ये वो शख्स है,जो हमेशा हर मुश्किल में आपके साथ है,जिससे आप अपने गम शेयर कर दे तो गम कहीं खत्म से हो जाते है।आपको ऐसा महसूस होता है कि आप इस इन्सान को वर्षों से जानते हो,जैसे वो कभी आपसे अलग था ही नहीं।आप हमेशा से उसका एक छोटा सा हिस्सा हो।नार्मली जो लोग ध्यान करते है,वो अपने दिल की बातें किसी से शेयर नहीं करते,सिर्फ ध्यानयोग के दौरान परमात्मा से।
और जब यही परमात्मा या यूँ कहूं कि आपका वो प्रेम इस जीवन में जीवंत हो जाये,तो आप अपनी हर खुशी और गम सिर्फ उसको बताना चाहते हो,क्योंकि आपको यूँ लगता है उसके बिना जिन्दगी की सब उपलब्धियां अधूरी है।बस वो आपको समझें तो ऐसा लगता है ये सारी कायनात आपको समझती है,क्योंकि इस पूरी कायनात में जो हर वक्त और हर तरफ मौजूद है वो आपको उसके अन्दर नजर आता है।






पर क्या सामने वाला स्वीकार कर पाता है ऐसे प्रेम को??
नहीं,सत्य यही है कि सामने वाले के लिए ये प्यार स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है। कई बार उसके लिए ये महज आकर्षण या वासना या फिर फेसबुकिया लव हो सकता है,जो कुछ दिनों की चैटिंग का नतीजा रहा हो।
आपको यूँ लगता है कि आप उस इन्सान को वर्षों से जानते हो,लेकिन उसके लिए आपके इस प्रेम पर विश्वास करना आसान नहीं होता,क्योंकि कुछ महीनों की जान-पहचान या कुछ सालों की जान-पहचान बिना देखे,बिना मिले,बिना बात किये कैसे इतना गहरा प्रेम हो सकता है?
आप जिस तरीके से सोचते है,वो चाहकर भी वैसा नहीं समझ पाता,,क्योंकि वो आपकी तरह नहीं महसूस करता,उसने ध्यानयोग नहीं किया है उसके लिए ये सब चीजें बहुत विचित्र होती है,हालांकि कुछ हद तक वो आपको समझने की कोशिश भी करें,लेकिन उसके जीवन के अनुभव उसको सोचने पर मजबूर कर देते है कि ऐसा कभी हो ही नही सकता।




तो क्या फिर ऐसे प्रेम हमेशा अधूरे ही रह जाते है?अब प्रश्न यह उठता है कि ये इतने गहरे प्रेम जहाँ,आपने अपना अस्तित्व ही अपने प्रेमी /प्रेमिका में समर्पित कर दिया था,क्या वो इतनी आसानी से खत्म हो जाते है?तो इस प्रश्न का जवाब है नहीं।प्रेम एक अदृश्य का भाव है,दृश्य में उसको ढूंढने की कोशिश करोगे तो दुख-तकलीफ तो जरूर होगी,लेकिन प्रेम तोडने वाला भाव नहीं है।ये जोडता है आपके आध्यात्मिक जगत को इस सांसारिक जगत से,सत्य कहूं तो ऐसे प्रेम लाखों लोगों में से किसी एक में देखने को मिलते है,और कभी खत्म नहीं होते।प्रेम में एकबार द्वैत का भाव मिट जाए तो दोबारा ये भाव कभी नहीं आता।ऐसे प्रेम में कभी अहंकार का भाव नहीं होता,अगर सामने वाला आपके प्रेम को ना समझ पाये तो आपको दुख-तकलीफ तो जरूर होती है लेकिन प्रेम कभी खत्म नहीं होता,क्योंकि आप उसको ये प्रेम उसके मिलने से वर्षों पहले से करते आ रहे हो।
आपके लिए ये प्रेम तब भी था,जब वो शख्स नहीं था और तब भी रहेगा जब वो शख्स आपके साथ नहीं होगा।
आपके लिए वो परमात्मा,वो आपका सत्य भाव हमेशा आपके साथ मौजूद होता है।बस अब आपका वो भाव उस इन्सान से जुड चुका है,आप जब कभी कोई प्रार्थना करते हो या जब कहीं अपनी सच्चाई,अपनी ईमानदारी याद करते हो,तो वो शख्स हमेशा याद आता है कि वो आपको समझता है,भले वो आपके साथ हो या न हो।
आप उससे ऐसे जुड़े हुए हो कि अब कभी अलग नहीं हो सकते,यही वो प्रेम है जो किसी को बिना देखे,बिना बात किये या फिर यूँ कहूं कि बिना मिले भी हो सकता है।
इस प्रेम में वर्षों चाहे बात ना करें एक दूसरे से तो भी कभी खत्म नहीं होता क्योंकि इस प्यार की शुरुआत बातचीत से नही हुई थी,सच कहूं तो ये इस दुनिया का सबसे मजबूत प्रेम होता है,जिसको इस संसार में मौजूद कोई भी ताकत अलग नहीं कर सकती,और कोई चाहे भी तो इसे मन से नहीं मिटा सकता,क्योंकि वो भाव वर्षों से आपके अंदर मौजूद होता है,जिसे खुद आप भी चाहकर नहीं मिटा सकते।






"ये प्रेम अधूरा होके भी पूर्ण है
और पूर्ण होके भी अधूरा है।"




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