क्या बिना देखे,बिना जाने प्यार हो सकता है??

Personal thoughts
ये मेरे पर्सनल विचार है,जिनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है।




"एक सवाल जो अक्सर हम सबके जेहन में आ जाता है,क्या बिन देखे,बिन मिलेऔर बिना बात किये हमें किसी से प्यार हो सकता है?? मैं फेसबुक लव की बात नहीं कर रही हूँ,जो अक्सर हर 15 दिन में बदलता रहता है।प्यार यानी वो भाव जो आपको हमेशा किसी के लिए कुछ अच्छा सोचने और करने के लिए मजबूर कर सकता है।






इसी सवाल का जबाव,मैंने लिखने की कोशिश की अपने जीवन के कुछ अनुभव से।जो हो सकता है 100% सत्य ना भी हो पर सत्य का एक पार्ट जरूर है।जिन लोगों ने अपने जीवन में कभी ध्यानयोग किया है,वो इसे 100% सत्य मानने वाले है।


तो सबसे पहले मैं अपनी बात की शुरुआत यहीं से करती हूँ।जब कभी आप अपनी जिंदगी में बहुत दुखी होते है या अपने आपको अकेला महसूस करते है,तो आपका विश्वास बढ जाता है भगवान की तरफ।और ऐसी स्थिति में अगर आप ध्यानयोग शुरू कर दे,तो ये विश्वास और भी गहरा और मजबूत हो जाता है।


अब आप सोच रहे होंगे कि ये प्यार के बीच ध्यानयोग कहाँ से आ गया?तो मैं बता दूँ कि ये जीवन का एक शाश्वत अनुभव है,जिसमें प्यार और ध्यान का एक सत्य जो जीवन को कभी बहुत आसान बनाता है तो कभी बहुत मुश्किल।तो अपनी बात को जारी रखते हुए मैं आगे बढती हूँ।
अगर आपने अपने जीवन में कभी ध्यानयोग किया है तो आपके लिए इस आर्टिकल को समझना बहुत आसान है और अगर नहीं भी किया है तो कोई बात नहीं मेरा उद्देश्य आप तक उसी बात को पहुंचाना है।इस आर्टिकल को पढने के बाद आप जरूर सहमत होंगे मेरी बात से।
तो बात ध्यानयोग से शुरू हुयी थी,ध्यान की एक प्रक्रिया होती है,जिसे हर कोई अपने तरीके से अनुभव करता है।
मैं जिस प्रक्रिया के बारे में जानती हूँ,फिलहाल उसी के बारे में बात करूँगी।जैसा कि मैंने बोला जब आप किसी बात से दुखी हो और कोई आपको ध्यान के बारे में सुझाव दे।आपकी जिन्दगी का वो पहला अनुभव हो,उसके बाद आपको इतना अच्छा लगे कि आप उससे हर रोज जुड जाये और एक लम्बा अनुभव आपके ध्यान का हो चुका हो।
सामान्यतः ध्यान में क्या होता है,जब आप ध्यान करते है बस अपने श्वास पर पूरा फोकस करते है और बस ये सोचते है कि ये शरीर,ये मन,कर्म,वचन सब तुम्हारे है।मैं इस दुनिया में होकर भी नहीं हूँ।मैं सिर्फ तुम्हारा एक छोटा सा हिस्सा हूँ।ये सब बातें ध्यान के दौरान परमात्मा से आप बोलते हो।हो सकता है आपने कभी ध्यान ना किया हो,इसलिए ये सब बातें अजीब लग सकती है।पर ये सब सत्य है,जब आपका माइंड पूरा फोकस करता है उस समय ध्यान अपनी बेस्ट स्टेज पर होता है उस व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है जैसे वो जन्नत में हो।परमात्मा से उसका इतना गहरा प्रेम होता है उस समय कि उस स्थिति में प्राण भी निकल जाये तो कोई गम नहीं।


ये तो रही ध्यान की बात लेकिन ये हमारे जीवन में प्रेम को कैसे प्रभावित करता है अब इसकी बात करते है।
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ,जब इन्सान का ईश्वर की तरफ समर्पण बढता है,तो उसे अपने जीवन के सब रिश्ते ईश्वर में नजर आने लगते है।माता-पिता,भाई-बहन और यहाँ तक कि परमात्मा को अपना प्रेमी/प्रेमिका भी महसूस करने लगता है।और यही बात उसके जीवन में आगे होने वाली घटनाओं को प्रभावित करने लगती है,लेकिन कैसे इसके बारे में विस्तार से बात करते है।




हमारे जीवन में हमारे माता -पिता,भाई-बहन सब साथ होते है,इसलिए परमात्मा से जुडकर भी हमारे ये रिश्ते भौतिक रूप से हमारी जिन्दगी में मौजूद होते है लेकिन प्रेमी -प्रेमिका वाला हिस्सा खाली होता है और एक दिन यही खालीपन आपके जीवन को कुछ ऐसे प्रभावित करता है जैसे आपने कभी कल्पना भी नहीं की हो।




वैसे आम जिन्दगी में ऐसी घटनाएं नहीं होती है,क्योंकि हमारा यूथ ध्यानयोग नहीं करता,और जो करते भी है वहाँ उतना गहरा रिश्ता नहीं बन पाता परमात्मा के साथ,क्योंकि ध्यान एक जटिल और मुश्किल प्रक्रिया है।
लेकिन फिर भी हजारों -लाखों लोगों में से किसी एक के साथ ये होता है और ये सब सत्य है जो आगे मैं बताने जा रही हूँ।


जब आप एक लम्बे समय से परमात्मा से जुड़े हुए हो,तो आपके अन्दर हमेशा एक भाव रहता है,कि जीवन में कितना भी मुश्किल दौर आये,कितनी भी जटिलताएं हो,वो ईश्वर आपके साथ है हमेशा,वो आपको समझता है,आपको सबसे करीब से जानता है...........




आपका जीवन यूँ ही शान्ति से गुजर रहा होता है और आपको अन्दाजा भी नहीं होता कि कुछ बदलने वाला है,लेकिन सच कहूं तो बदलता है और इतना बदलता है कि जिसका आप अन्दाजा नहीं लगा सकते।
आप अपने जीवन में हजारों लोगों से मिलते है,कुछ उनमें से बहुत अच्छे भी होते है,उनमें से बहुत सारे अपोजिट जेंडर भी होते है,लेकिन अगर आप एक योगी है और आपको कभी किसी से प्रेम नहीं हुआ तो हो सकता है शायद आपके लिए वो आप ही की तरह सामान्य इन्सान रहे हो,लेकिन एक योगी या ध्यानी के लिए प्रेम का अर्थ कुछ और होता है,वो क्या है?और ये जीवन से कैसे जुड़ा हुआ है,अब यहाँ ये सवाल उभर कर आता है।






कई बार ऐसा होता है कि आप किसी वजह से बहुत परेशान हो,या खुद को असहाय महसूस कर रहे हो,लेकिन आपको पूरा विश्वास होता है कि परमात्मा जरूर आपकी मदद करेगा।कहीं ना कहीं से किसी ना किसी रूप में वो आपके साथ है।कई दफा आपने भी अपनी जिंदगी में महसूस किया होगा कि अचानक से कोई अजनबी सिर्फ आपकी मदद करने के लिए जीवन में आता है।जिसको आपने देखा ना हो,जिसको आपने पहले कभी जाना ना हो,जिससे कभी बात ना की हो,दूसरी भाषा में कहूं तो मैं और आप जिसे वर्चुअल वर्ड कहते है।आपके लिए वो इन्सान नहीं,आप उसके अन्दर अपने परमात्मा को देखते है,आपको कोई मतलब नहीं होता उस इन्सान से,आपको सिर्फ ये पता होता है कि आपका ईश्वर आपकी मदद करने आया।और दूसरी बात वो इन्सान आपके सामने मौजूद नहीं होता,इसलिए सरासर यूँ लगता है कि वो परमात्मा का एक हिस्सा है,वो वही है जिससे आप हर रोज बात करते है।


कई बार ये अपनापन बहुत गहरा हो जाता है,वो व्यक्ति कोई भी हो सकता है समान जेंडर या अपोजिट जेंडर का।अगर समान लिंग का हो तो शायद आगे जीवन उतना नहीं बदलता लेकिन अगर अपोजिट जेंडर हो तो शायद यहीं से प्रेम का वो प्रथम भाव आपके अंदर उभरने लगता है।आप उस व्यक्ति के विचारों को धीरे -धीरे जानने लगते हो,और अगर वो सब आपके विचारों से मेल खाते हो,तो आपको धीरे धीरे यूँ लगने लगता है,ये वही इन्सान है जिससे आप हर रोज बात करते हो,अपनी ध्यान मुद्रा में।आपके अंदर का वो परमात्मा जिसे आप अपना प्रेमी /प्रेमिका समझते हो,वो जीवन में आपको शाश्वत नजर आने लगता है।आपके अंदर का आंतरिक प्रेम बाहरी प्रेम में ढलने लगता है,या यूँ कहूं कि आपका आध्यात्मिक प्रेम इस संसार में जीवंत होने लगता है।
और इसका सबसे मुख्य कारण ये है कि आप उस इन्सान को छू नहीं सकते,देख नहीं सकते बस महसूस करते हो,यही वो बात है जो इसे आपके अंदर के उस प्रेम से लिंक करती है जिसमें आप सिर्फ महसूस कर सकते हैं,परमात्मा जो आपके ध्यान में हमेशा होता है,जिसके साथ होने पर आपको हमेशा विश्वास होता है।वही सब आप उस इन्सान के लिए महसूस करने लगते हो।
लेकिन क्या ऐसे प्रेम इस धरती पर मौजूद है??
एक सवाल जो अभी आपके जेहन में आ रहा होगा।
मेरा आर्टिकल आपको बिल्कुल कोरी कल्पना लग रहा होगा,हो सकता है आपके लिए ये एक कहानी जैसा हो।
इस पृथ्वी पर मौजूद हर कहानी में एक सत्य मौजूद होता है।और ये एक यथार्थ सत्य है,अगर आपके लिए ये 100% सत्य नहीं है,तो सत्य का एक पार्ट जरूर है।




पर क्या ऐसे प्यार सफल हो पाते है?और सामने वाला ऐसे प्यार के बारे में क्या सोचता है?अब आपके जेहन में ऐसे कई सवाल आ रहे होंगे।तो आगे अब इसी विषय पर चर्चा करते है कि क्या ऐसे प्यार सफल होते है या नहीं?और सामने वाला ऐसे प्रेम को स्वीकार कर पाता है या नहीं?




जब आपको इस तरह का प्रेम होता है,तो सबसे पहले आपका द्वैत का भाव मिट जाता है,आप अपने आप को उस इन्सान से इतना जोड़ लेते हो कि आप अपने आप को उसका एक हिस्सा समझने लगते हो,आपके ध्यान वाला वो शख्स जिससे आप हर रोज बात करते हो,और ये शख्स दोनों एक हो चुके होते है।आपको यूँ महसूस होने लगता है,कि ये वो शख्स है,जो हमेशा हर मुश्किल में आपके साथ है,जिससे आप अपने गम शेयर कर दे तो गम कहीं खत्म से हो जाते है।आपको ऐसा महसूस होता है कि आप इस इन्सान को वर्षों से जानते हो,जैसे वो कभी आपसे अलग था ही नहीं।आप हमेशा से उसका एक छोटा सा हिस्सा हो।नार्मली जो लोग ध्यान करते है,वो अपने दिल की बातें किसी से शेयर नहीं करते,सिर्फ ध्यानयोग के दौरान परमात्मा से।
और जब यही परमात्मा या यूँ कहूं कि आपका वो प्रेम इस जीवन में जीवंत हो जाये,तो आप अपनी हर खुशी और गम सिर्फ उसको बताना चाहते हो,क्योंकि आपको यूँ लगता है उसके बिना जिन्दगी की सब उपलब्धियां अधूरी है।बस वो आपको समझें तो ऐसा लगता है ये सारी कायनात आपको समझती है,क्योंकि इस पूरी कायनात में जो हर वक्त और हर तरफ मौजूद है वो आपको उसके अन्दर नजर आता है।






पर क्या सामने वाला स्वीकार कर पाता है ऐसे प्रेम को??
नहीं,सत्य यही है कि सामने वाले के लिए ये प्यार स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है। कई बार उसके लिए ये महज आकर्षण या वासना या फिर फेसबुकिया लव हो सकता है,जो कुछ दिनों की चैटिंग का नतीजा रहा हो।
आपको यूँ लगता है कि आप उस इन्सान को वर्षों से जानते हो,लेकिन उसके लिए आपके इस प्रेम पर विश्वास करना आसान नहीं होता,क्योंकि कुछ महीनों की जान-पहचान या कुछ सालों की जान-पहचान बिना देखे,बिना मिले,बिना बात किये कैसे इतना गहरा प्रेम हो सकता है?
आप जिस तरीके से सोचते है,वो चाहकर भी वैसा नहीं समझ पाता,,क्योंकि वो आपकी तरह नहीं महसूस करता,उसने ध्यानयोग नहीं किया है उसके लिए ये सब चीजें बहुत विचित्र होती है,हालांकि कुछ हद तक वो आपको समझने की कोशिश भी करें,लेकिन उसके जीवन के अनुभव उसको सोचने पर मजबूर कर देते है कि ऐसा कभी हो ही नही सकता।




तो क्या फिर ऐसे प्रेम हमेशा अधूरे ही रह जाते है?अब प्रश्न यह उठता है कि ये इतने गहरे प्रेम जहाँ,आपने अपना अस्तित्व ही अपने प्रेमी /प्रेमिका में समर्पित कर दिया था,क्या वो इतनी आसानी से खत्म हो जाते है?तो इस प्रश्न का जवाब है नहीं।प्रेम एक अदृश्य का भाव है,दृश्य में उसको ढूंढने की कोशिश करोगे तो दुख-तकलीफ तो जरूर होगी,लेकिन प्रेम तोडने वाला भाव नहीं है।ये जोडता है आपके आध्यात्मिक जगत को इस सांसारिक जगत से,सत्य कहूं तो ऐसे प्रेम लाखों लोगों में से किसी एक में देखने को मिलते है,और कभी खत्म नहीं होते।प्रेम में एकबार द्वैत का भाव मिट जाए तो दोबारा ये भाव कभी नहीं आता।ऐसे प्रेम में कभी अहंकार का भाव नहीं होता,अगर सामने वाला आपके प्रेम को ना समझ पाये तो आपको दुख-तकलीफ तो जरूर होती है लेकिन प्रेम कभी खत्म नहीं होता,क्योंकि आप उसको ये प्रेम उसके मिलने से वर्षों पहले से करते आ रहे हो।
आपके लिए ये प्रेम तब भी था,जब वो शख्स नहीं था और तब भी रहेगा जब वो शख्स आपके साथ नहीं होगा।
आपके लिए वो परमात्मा,वो आपका सत्य भाव हमेशा आपके साथ मौजूद होता है।बस अब आपका वो भाव उस इन्सान से जुड चुका है,आप जब कभी कोई प्रार्थना करते हो या जब कहीं अपनी सच्चाई,अपनी ईमानदारी याद करते हो,तो वो शख्स हमेशा याद आता है कि वो आपको समझता है,भले वो आपके साथ हो या न हो।
आप उससे ऐसे जुड़े हुए हो कि अब कभी अलग नहीं हो सकते,यही वो प्रेम है जो किसी को बिना देखे,बिना बात किये या फिर यूँ कहूं कि बिना मिले भी हो सकता है।
इस प्रेम में वर्षों चाहे बात ना करें एक दूसरे से तो भी कभी खत्म नहीं होता क्योंकि इस प्यार की शुरुआत बातचीत से नही हुई थी,सच कहूं तो ये इस दुनिया का सबसे मजबूत प्रेम होता है,जिसको इस संसार में मौजूद कोई भी ताकत अलग नहीं कर सकती,और कोई चाहे भी तो इसे मन से नहीं मिटा सकता,क्योंकि वो भाव वर्षों से आपके अंदर मौजूद होता है,जिसे खुद आप भी चाहकर नहीं मिटा सकते।






"ये प्रेम अधूरा होके भी पूर्ण है
और पूर्ण होके भी अधूरा है।"




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Alfaz aur khamoshi ke beech bikhre ehsaso ko kalambadh krne ki ek choti si koshish krti hun,Taki kisi gamgeen chehre pe muskan de skun.Ek shayar ki nazar se aapke dil ki aawaz,aur zindgi se smete huye ko aap tak pahuchane ka junun bs yahi jo aksar mujhe likhne ke liye majboor kr deta h.....

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