इन्सानियत कहाँ खो रही है

Best Poems

इन्सानियत कहाँ खो रही है



"बाजारो की भीड़ में इन्सानो को पहचानूँ कैसे??
काम,लोभ में फंसे इन बेअदब में भावनाएं जानूँ कैसे??
कुछ तृष्णा,वासना के बदले भावनाएं बिकती है मोल।
आज इन भूखे शैतानों ने इन्सासियत को लिया है तोल।"

बदलते इन्सान



"चारों तरफ ढूंढू तो सच्चाई है बस कुछ बाशिंदों में,
मजबूरियों में जकडें है जो इन शैतानों के फंदों में।
आंच नहीं है झूठ को,सच जलकर होता राख।
इन लोगों के पास बची है बस आत्मा की खाक।"

"सच्चा बंदा है अभागा,गैर बिरादरी इन लोगों के बीच,
सारे दर्द तकलीफ सहता,रहने को इनके करीब।
होता है व्यापार यहाँ पर परमात्मा के नाम पर,
गारंटी लेते है एक अर्जी पूरी करने की,
सट्टे लगते उसके काम पर।"




"परमात्मा भी आज गली चौराहों पर बिकता है,
जिसकी जितनी बड़ी हैसियत,उतना बड़ा ही ईश्वर मिलता है।
हाथ जोडते जो सबसे ज्यादा,वो ही लूटते सबसे ज्यादा
चुनाव समय में जो हजारों वादे कर जाते,
पूरा करने के वक्त वो नज़र नहीं आते।"



"पालनकर्ता ही आज सबको खसोटता,
हे ईश्वर तू क्यूँ नहीं यहाँ लौटता।
एक अस्मत लूटी नारी की चप्पलें,
दरबारों में जाते -जाते घिस जाती।
न्याय मिलता जब तक उसको ,तेरे पास चली आती।
एक उम्र गुजर जाती है यहाँ फाइलें खुलवाने में।
दूजा जन्म लेना पडता है यहाँ न्याय पाने में।
एक भूखा बच्चा यहाँ सडकों पर मर जाता ,
और एक हत्यारा यहाँ जेल में सुकून से खाता ।






💕💕 Zla India आपके दिल की आवाज।जुड़े रहिये कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगे आप ।!कुछ एहसास जो छू ले दिल को ......💕💕




Alfaz aur khamoshi ke beech bikhre ehsaso ko kalambadh krne ki ek choti si koshish krti hun,Taki kisi gamgeen chehre pe muskan de skun.Ek shayar ki nazar se aapke dil ki aawaz,aur zindgi se smete huye ko aap tak pahuchane ka junun bs yahi jo aksar mujhe likhne ke liye majboor kr deta h.....

Share this

Related Posts

Previous
Next Post »

3 comments

Write comments