Best touching feelings
तुम(ईश्वर) थे मेरी हर मुश्किल में साथ
कहते है की ईश्वर यहीं हैं ,हम सबके बीच,बस एक नजरिया चाहिए उसे देखन का| कभी वो किसी रूप में हमारे सामने आता है,तो कभी किसी रूप में| लेकिन जब एक पुरुष की जिन्दगी में पहली दफा एक छोटा बच्चा दस्तक देता है,जो उसे पहली बार पिता कहे |उसकी जिन्दगी के सारे गम उसके आने के बाद फीके पड़ने लगे,तो उसके लिए वही ईश्वर लौट आता है|उसके दिल में कुछ ऐसे ख्याल आते है| जिनको मैंने कलमबद्ध करने की एक छोटी सी कोशिश की है|
"मेरे आँगन में आये जब तुम एक किलकारी के साथ
स्नेह बरसता तुम पर सबका,ना रहा कोई उदास।
मन की करुणा व्यथा की सुनते हर आवाज़,
सुनकर खुद ही पहुँच गये एक किलकारी के साथ |"
"दरस तुम्हारे जो हुए नैनो का भ्रम टूटा,
रूपहीन थे तुम तो,पर मेरे आँगन में पहुंचे थे हर रूप रंग के साथ|
बिखर रही थी सांसे,हो रही थी बस एक पुकार
इन आँसुओ को पोंछ लो,और आकर थामो हाथ |
हाथ बढाया आज तुमने ही मेरी अंगुली थामने को,
साथ मुझे चाहिए था या तुम्हे,तुम्हारे हाथ बढाते ही भूल गया मैं ये बात |
मेरे आँगन में आये तुम जब एक किलकारी के साथ |"
"अश्क आँखों से सूख गये थे तुम्हारे दरस पाकर,
मेरे संग तुम खेल रहे थे,अपनी आँखों में लीला से इन अश्को को दिखलाकर |
नही पता था अश्क मुझे पोंछने है या तुम आये हो ,इन अश्को में मेरे साथ|
मेरे आँगन में आये जब तुम एक किलकारी के साथ|
स्नेह बरसता तुम पर सबका,ना रहा कोई उदास|"
"हर विपत्ति से बचाते थे तुम पिता बनकर मुझको,
डर जब भी लगता,हाथ जोडकर बन जाता मैं दास ,
अंधेरो में अक्सर कह देता,हे! परमपिता संभालो मुझको,
रोशनी का एक दीपक दे दो,यूँ तुम्हारा तडफाना नही आता रास|
पिता तुम थे मेरी हर विपत्ति में साथ,
पर पिता तुम्हारा मैं बन जाऊंगा न ही था ये विश्वास|
मेरे आँगन में आये जब तुम एक किलकारी के साथ |
स्नेह बरसता तुम पर सबका ना रहा कोई उदास|"
मेरे आँगन में आये जब तुम एक किलकारी के साथ,
स्नेह बरसता तुम पर सबका ना रहा कोई उदास|
मन की करुणा व्यथा की सुनते हर आवाज़,
सुनकर खुद ही पहुँच गये एक किलकारी के साथ |"
"दरस तुम्हारे जो हुए नैनो का भ्रम टूटा,
रूपहीन थे तुम तो,पर मेरे आँगन में पहुंचे थे हर रूप रंग के साथ|
बिखर रही थी सांसे,हो रही थी बस एक पुकार
इन आँसुओ को पोंछ लो,और आकर थामो हाथ |
हाथ बढाया आज तुमने ही मेरी अंगुली थामने को,
साथ मुझे चाहिए था या तुम्हे,तुम्हारे हाथ बढाते ही भूल गया मैं ये बात |
मेरे आँगन में आये तुम जब एक किलकारी के साथ |"
"अश्क आँखों से सूख गये थे तुम्हारे दरस पाकर,
मेरे संग तुम खेल रहे थे,अपनी आँखों में लीला से इन अश्को को दिखलाकर |
नही पता था अश्क मुझे पोंछने है या तुम आये हो ,इन अश्को में मेरे साथ|
मेरे आँगन में आये जब तुम एक किलकारी के साथ|
स्नेह बरसता तुम पर सबका,ना रहा कोई उदास|"
इंसानियत कहाँ खो रही है -Read More
"हर विपत्ति से बचाते थे तुम पिता बनकर मुझको,
डर जब भी लगता,हाथ जोडकर बन जाता मैं दास ,
अंधेरो में अक्सर कह देता,हे! परमपिता संभालो मुझको,
रोशनी का एक दीपक दे दो,यूँ तुम्हारा तडफाना नही आता रास|
पिता तुम थे मेरी हर विपत्ति में साथ,
पर पिता तुम्हारा मैं बन जाऊंगा न ही था ये विश्वास|
मेरे आँगन में आये जब तुम एक किलकारी के साथ |
स्नेह बरसता तुम पर सबका ना रहा कोई उदास|"
मेरे आँगन में आये जब तुम एक किलकारी के साथ,
स्नेह बरसता तुम पर सबका ना रहा कोई उदास|
💕💕 Zla India-आपके दिल की आवाज़,जुड़े रहिये कहानियों और कविताओ के साथ,जिनके नायक होंगे आप|कुछ एहसास जो छु ले दिल को........💕💕
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