Best Sentimental Feelings
ये सावन, ये बारिश लौट आती है एक बरष के बाद। |
तुम कब लौटकर आओगे?
मेरी बारिश तो सिर्फ तुम हो।
अपनेपन के सूखे ने इस दिल को बंजर जमीन की तरह कर दिया।
यहाँ अब उम्मीदों के पौधे दम तोडने लगे है।
अश्को की नमी इनको संजोने में कम पड चुकी है।
प्यार नाम के बीज अपना अस्तित्व खोने लगे है।
ना जाने तुम कब लौटकर आओगे।
मेरे तो सावन और बारिश दोनों सिर्फ तुम थे।
जाने क्यूँ खुदा खफा हुआ है इतना,
कि दुआएँ बेअसर हो चुकी है।
कभी कभी खुद पर विश्वास टूटने लगता है,
खुदा पत्थर का है या ये दिल झूठा है।
ये दिल गर झूठा है तो तुम भी इस दुनिया का एक भ्रम हो।
और भ्रम की दुनिया सिर्फ तकलीफ देती है।
पर ये कायनात कहती है कि तुम भ्रम नहीं हकीकत हो,
जो सदियों में कभी एकबार दोहराई जाती है।
हाँ तुम ही ये बारिश हो, जो हर वर्ष सावन को ले आती है।
आसमान से बूँदों में भी तुम बरसते हो और
हथेली पर इकट्ठा करने वाले ये हाथ भी तुम्हारे है।
ये मैं नहीं हूँ, ये बस तुम हो।
मैंने देखा है तुम्हें खुद के लिए अश्क गिराते।
मैंने देखा है तुम्हें खुद को डाँटते हुए।
हाँ मैंने देखा है तुम्हें खुद से खफा होते हुए।
तुम तो तुम थे ही, मैं भी अब तुम ही हूँ।
मैं भी बस तुम हूँ।
तुम ना हो तो फिर मैं कहाँ?
तुम ना हो तो मैं कहाँ हूँ।
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