"तुम्हारी खामोशी अब मुझे परेशान करने लगी है,
ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।"
कहाँ हो तुम,ऐसे तुम्हारा चुप रहना,अब बहुत परेशान कर देता है।
कहा था ना मैंने तुमसे,तुम्हारा साथ होना ही काफी है।
पर तुम जैसे कभी नहीं समझ पाओगे।
तुम्हारी वो मीठी सी मुस्कान जिसको देखने भर से
मेरी जिंदगी के सारे गम दूर हो जाते है।
कहाँ महसूस कर पायीं हूँ मैं उसे एक अरसे से।
तुम्हारे ना होने से बस यूँ लगता है -
"तुम साथ हो तो यूँ लगता है,कि ये
सारी खुदाई मेरे साथ है।
तुम ना हो तो फिर मैं ही कहाँ रह पाती हूँ
खुद के साथ।"
"जिन्दगी इतनी बड़ी भी नही ,
कि तुमको यूँ नाराज करके छोड़ दू।
क्या खबर ये फिर कभी मनाने का मौका
भी देगी या नहीं।"
वो मेरी और तुम्हारी आखिरी मुलाकात जिसमें
तुमने कहा था,,कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।
कभी कभी वो मेरी आँखों में आँसू ले आती है।
ये दिल कहता है कि तुम कभी झूठ नही बोलते,
तो फिर आज इतनी बेरूखी क्यों?
"तुमको झूठा कहने का हक तो इस दिल ने
मुझको भी नहीं दिया।
पर आज तुम्हारी सच्चाई इस बेरूखी के
आगे बेजुबान है।"
कभी कभी तुम्हारी खामोशी इतना परेशान
कर देती है,जैसे मैं गुनाहगार हूँ इसकी।
तुम आज मुझसे खफा हो।
मेरी ज़िन्दगी का सारा शोर तुम्हारी खामोशी
ने समेट लिया है।
अब तो यूँ लगता है,जैसे तुमसे मिलने के
बाद मैं भी मैं ना रही।तुम क्यों भूल गए हो
मैनें तुमसे कहा था ना-
"तुम तो तुम हो ही,मैं भी तो तुम हूँ
मैं भी तो तुम हूँ।
तुम ना हो तो,फिर मैं कहाँ,तुम ना हो
तो फिर मैं कहाँ??"
"काश एक सुबह ऐसी भी आये,
तेरे आने की खुशी मे ये आँखें आँसू गिराये।"
"काश लौटा दो तुम मुझे मेरी जिन्दगी के शब्द,
क्योंकि तुम्हारी खामोशी अब परेशान करती है,
ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।"
"ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।
ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।"
ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।"
कहाँ हो तुम,ऐसे तुम्हारा चुप रहना,अब बहुत परेशान कर देता है।
कहा था ना मैंने तुमसे,तुम्हारा साथ होना ही काफी है।
पर तुम जैसे कभी नहीं समझ पाओगे।
तुम्हारी वो मीठी सी मुस्कान जिसको देखने भर से
मेरी जिंदगी के सारे गम दूर हो जाते है।
कहाँ महसूस कर पायीं हूँ मैं उसे एक अरसे से।
तुम्हारे ना होने से बस यूँ लगता है -
"तुम साथ हो तो यूँ लगता है,कि ये
सारी खुदाई मेरे साथ है।
तुम ना हो तो फिर मैं ही कहाँ रह पाती हूँ
खुद के साथ।"
"जिन्दगी इतनी बड़ी भी नही ,
कि तुमको यूँ नाराज करके छोड़ दू।
क्या खबर ये फिर कभी मनाने का मौका
भी देगी या नहीं।"
वो मेरी और तुम्हारी आखिरी मुलाकात जिसमें
तुमने कहा था,,कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।
कभी कभी वो मेरी आँखों में आँसू ले आती है।
ये दिल कहता है कि तुम कभी झूठ नही बोलते,
तो फिर आज इतनी बेरूखी क्यों?
"तुमको झूठा कहने का हक तो इस दिल ने
मुझको भी नहीं दिया।
पर आज तुम्हारी सच्चाई इस बेरूखी के
आगे बेजुबान है।"
कभी कभी तुम्हारी खामोशी इतना परेशान
कर देती है,जैसे मैं गुनाहगार हूँ इसकी।
तुम आज मुझसे खफा हो।
मेरी ज़िन्दगी का सारा शोर तुम्हारी खामोशी
ने समेट लिया है।
अब तो यूँ लगता है,जैसे तुमसे मिलने के
बाद मैं भी मैं ना रही।तुम क्यों भूल गए हो
मैनें तुमसे कहा था ना-
"तुम तो तुम हो ही,मैं भी तो तुम हूँ
मैं भी तो तुम हूँ।
तुम ना हो तो,फिर मैं कहाँ,तुम ना हो
तो फिर मैं कहाँ??"
"काश एक सुबह ऐसी भी आये,
तेरे आने की खुशी मे ये आँखें आँसू गिराये।"
"काश लौटा दो तुम मुझे मेरी जिन्दगी के शब्द,
क्योंकि तुम्हारी खामोशी अब परेशान करती है,
ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।"
"ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।
ऐसा लगता है तुम मेरी जिंदगी की आवाज हो।"
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