एक सत्य (जीवन और मृत्यु)

कई बार हमारे आसपास कुछ ऐसा घटित होता है,जो सोचने पर मजबूर कर देता है,कि जीवन क्या है??
किस वजह से है और कब तक है??
ये एक सवाल जिसका जवाब किसी के पास भी
नहीं होता।अक्सर जब ख्याल दिल में हो,तो
कलम कुछ कह डालती है -
मौत को करीब से देखना




"ये साँसें और ये जीवन क्या है??
कभी सोचना गहराई से।
ये जीवन एक हवा का झोंका है।
कब एक तूफान इसके पास से गुजरता है
और ये हवा का झोंका,इस जिस्म को छोड़
कोसों दूर निकल जाता है।
इसकी खबर कहाँ और किसको हो पाती है।"

वो ईश्वर और मैं-Read More



"श्मशान में जलती आग जलकर,सिंधडकर ठण्डी पड़ जाती है कुछ ही घंटों में।
जिन्दगी का सूनापन बढता जाता है,गुजरते हुए पल दर पल।
कई रिश्ते और जिन्दगी हार जाते है
और बड़े अदब से जीतकर निकल जाती है मौत।
मौत यथार्थ है,शाश्वत है।
लेकिन मोह इस शाश्वत से नहीं जिन्दगी से होता है,
जो क्षणभंगुर है।
इस पल है उस पल की उम्मीद ही नहीं है।
जिन्दगी के सारे रंग श्वेत कफन में आयी मौत,
कब उजाड़ देगी,ये ना एहसास होता है ना खबर।
जिन्दगी के दरवाजे पर दस्तक दिये बिना,मौत चुपके से
आती है किसी शातिर लुटेरे की तरह।
और चुरा ले जाती है एक जिन्दगी और कई चेहरों की मुस्कान।
मुझे कभी मौत से डर नहीं लगता,प्रेम करती हूँ
मैं मौत से बेइम्तहां।
और इंतजार कर रही हूँ उसका पल दर पल।
डर लगता है तो बस तुम्हें खोने से,
तुम सब जो मेरी जीवन की डोरी में मोती से सजे हो।
हर रोज दुआँ करती हूँ,हर सुबह हथेली पढती हूँ।
बस इतना सा चाहिए मुझे
मेरे अपने साथ रहे बस आखिरी सांस तक,
क्योंकि श्मशान में जलकर,सिंधडकर
जब आग बुझ जाती है,तब कई जिन्दगी
जलनी शुरू हो जाती है।"




"मौत यथार्थ है,सत्य है
मौत यथार्थ है,सत्य है।"



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Alfaz aur khamoshi ke beech bikhre ehsaso ko kalambadh krne ki ek choti si koshish krti hun,Taki kisi gamgeen chehre pe muskan de skun.Ek shayar ki nazar se aapke dil ki aawaz,aur zindgi se smete huye ko aap tak pahuchane ka junun bs yahi jo aksar mujhe likhne ke liye majboor kr deta h.....

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