मेरे होठो की हसी जब मुस्कुराते हुए युँ अश्को में
ढल जाती है,तो दिल मे ये ख्याल आता है।क्या इतना
हक भी नहीं था मेरा कि कभी तुम्हारे लिए मुस्कुरा
सकूँ।मेरी कलम के अल्फाजो मे तुम कुछ यू उतर
अाते हो-
"क्या तुम्हारे लिए मुस्कुराने का हक भी नहीं
है मुझे??
तुम्हें अपना कहने का हक तो तुम जाने कब
ले चुके थे।
अब यूँ लगता है जैसे मेरे होठों की मुस्कान
भी गँवारा नहीं।
पर क्या ले पाओगे कभी मुझसे,तुम्हारे लिए
आँसू गिराने का अधिकार??
तुम अाज भी मौजूद हो मुझमें,
मेरे होठों की मुस्कान में ना सही,
मेरी आँखों के आँसूओं में।
मेरे दिल के किसी कोने में,
तुम अाज भी रहते हो।
कभी कभी जिन्दगी से शिकवा होता है
तुम पराये थे तो अपने बने क्यों और
अपने हो तो अब पराये क्यों??
मेरे आँसू तो अाज भी तुम्हारे है
और हमेशा रहेंगे।
मेरी दुआओं मे ये जिक्र रहेगा
कि तुम्हें कोई तकलीफ ना हो पाये
क्योंकि तुमको तकलीफ में देखने
का ख्याल मुझे अाज भी डरा देता है।
पर कभी कभी दिल में बेवजह ये ख्याल
उतर अाता है,
क्या कह पाओगे तुम कभी
कि वापस लौट अाओ।
कि वापस लौट आओ।
कि वापस लौट आओ।"
कभी नहीं कह पाओगे,ना अाज
ना कल।
काश तुम कभी ये कह पाते।
काश तुम कभी ये कह पाते।
ढल जाती है,तो दिल मे ये ख्याल आता है।क्या इतना
हक भी नहीं था मेरा कि कभी तुम्हारे लिए मुस्कुरा
सकूँ।मेरी कलम के अल्फाजो मे तुम कुछ यू उतर
अाते हो-
"क्या तुम्हारे लिए मुस्कुराने का हक भी नहीं
है मुझे??
तुम्हें अपना कहने का हक तो तुम जाने कब
ले चुके थे।
अब यूँ लगता है जैसे मेरे होठों की मुस्कान
भी गँवारा नहीं।
पर क्या ले पाओगे कभी मुझसे,तुम्हारे लिए
आँसू गिराने का अधिकार??
तुम अाज भी मौजूद हो मुझमें,
मेरे होठों की मुस्कान में ना सही,
मेरी आँखों के आँसूओं में।
मेरे दिल के किसी कोने में,
तुम अाज भी रहते हो।
कभी कभी जिन्दगी से शिकवा होता है
तुम पराये थे तो अपने बने क्यों और
अपने हो तो अब पराये क्यों??
मेरे आँसू तो अाज भी तुम्हारे है
और हमेशा रहेंगे।
मेरी दुआओं मे ये जिक्र रहेगा
कि तुम्हें कोई तकलीफ ना हो पाये
क्योंकि तुमको तकलीफ में देखने
का ख्याल मुझे अाज भी डरा देता है।
पर कभी कभी दिल में बेवजह ये ख्याल
उतर अाता है,
क्या कह पाओगे तुम कभी
कि वापस लौट अाओ।
कि वापस लौट आओ।
कि वापस लौट आओ।"
कभी नहीं कह पाओगे,ना अाज
ना कल।
काश तुम कभी ये कह पाते।
काश तुम कभी ये कह पाते।
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