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तुम्हारी मासूमियत और सच्चाई
"अपने अंदर की मासूमियत और सच्चाई को
देखना हो,तो कभी देखना अपने बचपन की वो तस्वीर
जिसमें तुम्हारी आँखों में कुछ पाने की चाह नहीं थी।
जब माँ के आँचल में तुम्हारी सारी दुनिया सिमट जाया करती थी।
जब डर लगने पर तुम माँ के पल्लू में छिप जाया करते थे।"
"जब सुबह आँखें खोलने से पहले तुम नींद में
हाथ से मम्मी का चेहरा तलाशा करते थे कि
वो तुम्हारे पास ही है या नहीं।
कभी मिलना हो तुम्हें खुद से तो देखना बचपन की उस तस्वीर को,
जिसमें काजल तुम्हारी आँखों से रोकर गालो तक चिपकी
हुयी हो,जब तुमको हैंडसम दिखने की टेंशन नहीं हुआ करती थी।"
"अगर देखना चाहते हो अपने अंदर की ईमानदारी और अच्छाई को,तो देखना कभी अपने बचपन की वो तस्वीर
जब तुम बहुत छोटे थे,
जब मम्मी का तुम्हारे गाल पर प्यार करने से तुम्हारे सब गम दूर हो जाया करते थे।
जब तुम रोते रोते हँस दिया करते थे।
जब तुम्हारी हर सुबह और शाम मम्मी को देखकर ही शुरू हुआ करती थी।
जब तुम्हें कुछ खोने का डर नहीं था।
जब तुम माँ के हाथ का तकिया लगाकर बेफिक्र सोया करते थे।"
"कभी जानना चाहते हो अपने अंदर की शालीनता को,
तो देखना अपने बचपन की वो तस्वीर
जब तुमको दुनिया से आगे निकलने की जिद्द नहीं थी
लेकिन फिर भी तुम्हारी हर जिद्द पूरी हो जाया करती थी।
जब मम्मी से दूर होना ही इस दुनिया का सबसे बड़ा गम हुआ करता था।
जब तुम मम्मी से पिटने के बाद भी आँसू पोंछने के लिए उनके ही आँचल में छिप जाया करते थे।
जब किसी से नाराज होने पर तुम्हारी इगो बीच में नहीं आया करती थी,
जब तुम बिन कहे ही सॅारी बोल दिया करते थे।"
जब मैं ये कहती हूँ तुमसे -Read More
"कभी जानना चाहते हो अपनी विनम्रता को,तो
देखना अपने बचपन की तस्वीर
जब तुम एक खिलोने को दो हिस्सों में तोडकर एक हिस्सा अपनी दीदी को दे दिया करते थे।
जब तुम उसके ढीले और बड़े कपड़ों में खुद को बहुत स्मार्ट समझा करते थे।
जब रक्षाबंधन पर गिफ्ट से ज्यादा मिठाई पर लड़ाई हुआ करती थी।
जब तुम उसको अपनी कसम देकर स्कूल होमवर्क करा लिया करते थे।
जब तुम बहुत मासूम हुआ करते थे।"
"तुम आज भी ऐसे ही हो,कभी देखना खुद को आईने में,
तुम्हारी आँखों में आज भी वही मासूमियत मौजूद है,
बस जिन्दगी की इस जद्दोजहद में तुम उसको देखना नहीं चाहते।
बहुत कुछ पाने की चाह में तुमने बस अपने आप को खोया है,
तुम आज भी वही हो और हमेशा वही रहोगे,
बस कुछ बदला है तो वो हालात।
तुम्हारी आँखों में आज भी आँसू आ जाते है,बस अब तुम रोना एक कमजोरी समझते हो,इसलिए अक्सर उन्हें छिपा लेते हो।
आज भी माँ से कह देने के बाद तुम्हारा दिल हल्का हो जाता है,
बस अब तुम माँ से छिपाना बेहतर समझते हो।
तुम आज भी अपनी दीदी से उतना ही प्यार करते हो
बस अब उसका झूठा खाने में हिचकने लगे हो।"
"तुम आज भी वही हो,कभी देखना अपनी सच्चाई को आँखें बंद करके।
उस वक्त सिर्फ तुम होगे और बस तुम्हारी मासूमियत
तुम आज भी बिल्कुल ऐसे ही हो ,जैसे बचपन की उस तस्वीर में हुआ करते थे।
कभी देखना अपने बचपन की तस्वीर"
"बस देखना कभी अपने बचपन की वो तस्वीर
बस देखना कभी अपने बचपन की तस्वीर।"
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