Best touching feelings
इतनी कठोरता से क्या फायदा
"इतनी कठोरता से भी क्या फायदा,
किसी के आँसू ना पिघला सके,किसी का गम ना रूला सके।
उस वक्त इन्सान उस बंजर जमीन की तरह होता है
जिस पर भावनाओं के पौधे नही उगते।
जिसको आँसुओं की नमी भी नहीं सींच सकती।"
"उस वक़्त इन्सान सिर्फ अकेला होता है
जैसे बंजर जमीन पर झाडियो के झुंड उगते है
जिन पर अपनेपन के फल नहीं लगते।
जहाँ इन्सान उस बंजर जमीन की तरह होता है
जो रूखेपन से सख्त हो पत्थर बन जाती है।"
"इतनी कठोरता से भी क्या फायदा कि
नीरसता जीवन से हर रंग को छीन ले।
उस वक्त इन्सान उस सिर्फ अकेला होता है
जिसके पास जिन्दगी के कोई रंग नहीं होते,
जिसके साथ रहने से मुस्काने कहीं खोने लगती है।"
"इतनी कठोरता से भी क्या फायदा
कि प्यार नाम का। पौधा उस कठोरता के नीचे
कहीं दम तोड़ने लगे।
जहाँ भावनाओं की पत्तियाँ इस कठोरता की आँधी
से टूटकर बिखरने लगे।
उस वक्त इन्सान उस बंजर जमीन की तरह होता है
जिसको बरसात की नमी भी नहीं भिगा सकती।"
"अगर इन्सान भी। उस बंजर जमीन की तरह बन जायेगा
तो इस जमीन से प्यार नाम का पौधा कभी उग ही नहीं
पायेगा।
अपनेपन के बीज कहीं खो जायेंगे,
फिर इस जमीन पर रिश्तों नाम के फल कभी नहीं लग पायेंगे।
उस वक्त ये इन्सान बिल्कुल अकेला होगा,
जैसे झाडियो के वो झुंड खडे होते है।
झाड़ियां वर्षों तक अकेली खड़ी रह सकती है
पर इन्सान नहीं...............
इन्सास को जरूरत होती है अपनेपन की,प्यार की
और किसी आँसू पोंछने वाले की।
"कठोरता इन्सान को सिर्फ कमजोर बनाती है
विनम्र बनना इस दुनिया का सबसे कठोर काम है।
क्योंकि इन्सान को जरुरत होती है अपनेपन की,प्यार की ओर किसी आँसू पोंछने वाले की।"
3 comments
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Replyi tried to write some line randomly i know my arrangements are not well crafted but i want to write my feelings in few lines after reading your superbly penned pure deep soulful heart touching lines #deep inside from my heart .
Dil hai sisa bada hi nazuk ,zara si thokar hui bacho ke khilone ki tarah bikhar k toot jata hai..alam hai aisa nind bhi ruswa lab khamosh ankhon me paani kisi samnadar ki lehron me beh gayi meri zindgani. ab to bas us manzar pe aa ruka hu na jaane kis gali me zindagi ki shaam ho jaye fir achanak us yaad-e-gali se gujar gaye ankhon se ansu muddat ke baad fir se nikal pade.jab bhi kabhi bhulkar nikla kisi naye manzar par itefaq se tera hi manzar me aa nikla.is kadar na kathor hua kar, parindo ki tarah insan ke ghar bhi ek choti si toofan se bikhar jaate hai..
You are great writer sir🙏.
ReplyBahut bahut achcha likha aapnee........
Give words to your feelings.......
Thanks for reading my lines 🙏
I just tried .Thank u mam for liking and apreciating ...it means alot 🙏
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