AC की ठंडक में वो सुकून कहाँ

Best Memories



"मेट्रो की एसी में भी वो ठंडक कहाँ?
जो ठंडक बचपन की उन यादों में है,जब मैं और तुम
आम के पेड़ के नीचे छाँव में बैठकर कच्चे आम नमक से खाया करते थे।
और ज्येष्ठ की वो तपती दोपहर हवा के एक झोंके से शीतलता में बदल जाया करती थी।"


aam ke ped ki yaade,bachpn ki yaade



"अब एसी के बिना कोई सफर नहीं गुजरता,लेकिन फिर भी सुकून के वो पल कहाँ मिल पाते है,
जो लडकपन के उस खूबसूरत सफर में मिला करते थे,
जब हम दोनों साइकिल से धूप में स्कूल से घर आया करते थे
और बारी-बारी से साइकिल चलाकर घर पहुँचा करते थे।
जब धूप में मेरे गाल लाल हो जाने पर तुम कहा करते थे,कि अब मैं साइकिल चलाऊँगा क्योंकि तुम थक चुकी हो।"




"अब ईमानदार बनने की कोशिशें करते हुए भी हमारे अंदर उतनी सच्चाई कहाँ?
जितनी बचपन की उन बेईमानियों में हुआ करती थी,
जब मैं और तुम रास्ते से गुजरते हुए किसी के पौधे से फूल तोडकर भाग जाया करते थे।"




"अब हर रोज घण्टों गुजारते है जिम में खुद को स्वस्थ रखने के लिए,
लेकिन फिर भी बचपन सा वो स्वास्थ्य कहाँ?
जब हम दोनों मम्मी के दोपहर में सो जाने पर छिपकर भाग जाया करते थे,अमरूद के पेड़ से कच्चे और सख्त अमरूद खाने के लिए।
और उन सख्त अमरूदो की वजह से हुआ पेट दर्द मम्मी की एक डाँट से ही ठीक हो जाया करता था।"






"अब बहुत सारे दोस्त है मेरे पास,एक लम्बी लिस्ट है,
जो व्हाटसएप के मैसेज से दोस्ती निभाते है।
लेकिन फिर भी तुम जैसा कोई दोस्त कहाँ??
जो होमवर्क पूरा न होने की वजह से झूठ बोलकर टीचर की मार से बचा लिया करता था कि मेरी मम्मी ने बोला किसी जरूरी काम की वजह से मैं आज होमवर्क ना कर पायी।"






"अब ख्वाहिशें होती है कभी -कभी तुम्हारा साथ पाने की .....
लेकिन ना अब वो बचपन है और ना वो हम है।
अब हम मैच्योर हो चुके है।
अब बेवकूफियाँ करने से पहले दस बार सोचते है।
लेकिन फिर भी आज की इस मैच्योरिटी से अच्छी बचपन की वो बेवकूफियाँ थी जब रोते-रोते भी हँस दिया करते थे।"




"काश लौट आता वो बचपन,काश लौट आती वो यादें,
जहाँ हम एक आम तोडने के लिए डालियों से लटक जाया करते थे और नीचे गिरने पर भी चोट नहीं लगा करती थी।"




💕💕 Zla India आपके दिल की आवाज।जुड़े रहिये कहानियों और कविताओं के साथ जिनके नायक होंगे आप।कुछ एहसास जो छू ले दिल को .........💕 💕




Alfaz aur khamoshi ke beech bikhre ehsaso ko kalambadh krne ki ek choti si koshish krti hun,Taki kisi gamgeen chehre pe muskan de skun.Ek shayar ki nazar se aapke dil ki aawaz,aur zindgi se smete huye ko aap tak pahuchane ka junun bs yahi jo aksar mujhe likhne ke liye majboor kr deta h.....

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