✎मेरी कलम के अल्फाज तुमसे शुरू होकर तुम तक सिमट जाते है।
कभी कभी यूँ लगता है कि तुम बारिश के जैसे हो।☔☔
कितनी दफा बिन बूंदों के भिगोया है तुमने।🌂☔🌂☔
कितनी दफा मैनें तुम्हें इन बारिश की बूंदों के रुप में हथेलियों पर इकठ्ठा किया है।
कितनी दफा कहा मैंने तुमसे कि तुम मेरी अमानत हो,मेरी हथेली पर ये बूँद मेरी है।
ये बारिश जब जब आएगी तुम हमेशा मेरी अमानत रहोगे,मेरी हथेली पर तुम्हारा वो एहसास हमेशा रहेगा।
सदियों तक तुम यूँ ही ये बारिश बनकर मेरी हथेली पर वो याद बनके रह जाओगे,👦
ये बारिश ओर तुम एक जैसे हो,
ये बारिश ओर तुम एक जैसे हो|
कभी कभी यूँ लगता है कि तुम बारिश के जैसे हो।☔☔
कितनी दफा बिन बूंदों के भिगोया है तुमने।🌂☔🌂☔
कितनी दफा मैनें तुम्हें इन बारिश की बूंदों के रुप में हथेलियों पर इकठ्ठा किया है।
कितनी दफा कहा मैंने तुमसे कि तुम मेरी अमानत हो,मेरी हथेली पर ये बूँद मेरी है।
ये बारिश जब जब आएगी तुम हमेशा मेरी अमानत रहोगे,मेरी हथेली पर तुम्हारा वो एहसास हमेशा रहेगा।
सदियों तक तुम यूँ ही ये बारिश बनकर मेरी हथेली पर वो याद बनके रह जाओगे,👦
ये बारिश ओर तुम एक जैसे हो,
ये बारिश ओर तुम एक जैसे हो|
3 comments
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ReplyThanks 🙏
ReplyHppy 1st anniversary of your blog 🎂🎂🎂🎂
ReplyTum और tumhara लेखन कभी जुदा ना हो
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