Best Sentimental Feelings
"कभी कभी यूँ लगता है,कुछ पाने की चाह में मैं खुद को ही खो रही हूँ।
दो पल सुकून के कब मिल पाते है कभी?
सुबह आँखें खुलते ही जिन्दगी की दौड़ शुरू हो जाती है
और रात आँखें बन्द होने तक मैं बस खुद से ही आगे दौडती हूँ।"
"दो पल उस खुदा से रूबरू हो सकूँ,कभी फुरसत में बाते करूँ।
कब बिताये थे कुछ पल उस खामोशी में जहाँ मैं और वो खुदा दोस्त की तरह बातें किया करते थे।
कब उठाया था एक छोटे बच्चे को गोद में,एक अरसा गुजर गया है,जिन्दगी से आगे निकलने की दौड़ में।"
"अब ज्यादा मिलने पर भी वो सुकून नहीं होता,जो थोड़ा मिलने पर भी मुस्कुराकर जी लिया करते थे।
अब हर सुबह बस बेरंग होती है।
याद आती है तो वो सुबह जब मम्मी -पापा का चेहरा देखे बिना दिन की शुरुआत नहीं होती थी।
दिन तो अब भी शुरू होता है बस कमी होती है तो सुकून की।
जो अक्सर अपनों के बिना जिन्दगी को मुश्किल बना देता है।
1 comments:
Write commentsfeeling lonely....
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