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यूँ ही राह चलते चलते
"एक शायर ने कहा था-
मस्जिद से घर बहुत दूर है यारों,
क्यूँ ना किसी रोते बच्चे को हँसाया जाये।"
"अक्सर कह देता हूँ मैं भी खुद से,
दो पल मिले है जिन्दगी के।
एक पल में खुद के लिए जी लेता हूँ,क्यूँ
ना दूजे पल में दूसरों के लिए मुस्कुराकर देखता हूँ।"
"किसी रोते हुए चेहरे पर मुस्कान दे जाना,
किसी अकेले इन्सान का हाथ थाम कह देना,
मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।
बेवजह ही किसी की खुशी में मुस्कुरा देता हूँ।"
"जिन्दगी ये दो पल की मेहमान है,
यूँ ही राह चलते चलते,किसी के गम में कभी रो देता हूँ।
मैंने अक्सर देखा है,लोगों को गम बाँटते
और मैं दूजो के गम में खुद को बाँट देता हूँ।"
"किसी की चंद बातों को बेवजह सुन लेना,
किसी के चेहरे पर मुस्कान देने के लिए कभी
बेवजह तारीफें कर देना।
यूँ ही राह चलते चलते
कभी गमगीन आँखों से आँसू पोंछ देना,
जीना सीखा है मैंने खुद से।"
"कभी कभी कह देता हूँ खुद से,
खुदा बहुत दूर है इस जमीन से,
क्यूँ ना किसी के लिए कभी फरिश्ता बन
हाथ बढ़ा देता हूँ।
कभी अपनो की खुशी में खुश हो लेता हूँ,
तो कभी किसी अजनबी को भी अपना कह देता हूँ।
मैंने सीखा है बस मुस्कुराना,बस उस मुस्कान को ही दूसरों को देता हूँ।"
"यूँ ही राह चलते चलते मैंने जिन्दगी जीना सीखा।
कभी बेवजह किसी की तरफ मदद का हाथ बढ़ा,दूजो को सीखा देता हूँ।
आज आये है कल चले जायेंगे,
इसीलिए मैं जिन्दगी के हर पल को जीता हूँ।
कभी ख्वाहिश नहीं की कुछ पाने की,
बस अक्सर हर खुशी दूसरों को देता हूँ।"
"यूँ ही राह चलते चलते,मैंने जिन्दगी
को जीना सीखा।
किसी की खुशी में मुस्कुराना तो किसी के
गम में रोना सीखा।
बस यूँ ही राह चलते चलते।"
"बस यूँ ही राह चलते चलते।
बस यूँ ही राह चलते चलते।"

2 टिप्पणियाँ
Write टिप्पणियाँBoht achi likhi hai :)
ReplyBeautiful.....
🙏 thanks sir
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