तुम हक़ीकत हो

तुम हक़ीकत हो
 मेरी आँखे अक़्सर ख़्वाब देखा करती थी।ख्वाबों में खुद को कहीं खोते हुये देखना।कभी किसी बेवजह की बातों पर आँसू भी गिरा देना।जो कभी हकीकत हो ही नही सकते थे।जो सिर्फ आँसुओ की वजहें थे,जिन्होंने बस रोना सिखाया था।मुस्कुराहटें...